विश्व में सबसे बड़ा और देश का सबसे पुराना यूपी बोर्ड (माध्यमिक शिक्षा परिषद) 99 वर्ष का हो गया है। लखनऊ विश्वविद्यालय की तरह अगले वर्ष यूपी बोर्ड का भी शताब्दी वर्ष समारोह मनाने की तैयारी है।
बोर्ड परीक्षाओं के बाद साल भर तक शिक्षा, खेल व मनोरंजन से जुड़े विविध आयोजन होंगे।
समारोह की तैयारियों को लेकर बोर्ड सचिव दिव्यकांत शुक्ला ने इसी सप्ताह चुनिंदा अधिकारियों के साथ बैठक की। डीआईओएस डॉ. मुकेश कुमार सिंह के अनुसार, यूपी बोर्ड देश का पहला और सबसे पुराना शिक्षा बोर्ड होने के साथ ही विश्व का सबसे बड़ा बोर्ड है। इससे 22 हजार से ज्यादा स्कूल संबद्ध हैं।
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यह प्रत्येक वर्ष 10वीं व 12वीं के 56 लाख से ज्यादा विद्यार्थियों की परीक्षा कराता है। यूपी बोर्ड के पूर्व छात्र देश-विदेश में ख्याति प्राप्त कर चुके हैं। उन्हें आमंत्रित कर उनके अनुभव साझा किए जाएंगे। पूर्व छात्रों में उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा भी लखनऊ के राजकीय जुबिली इंटर कॉलेज से शिक्षा ग्रहण कर चुके हैं।
यूपी बोर्ड की स्थापना प्रयागराज में 1921 में संयुक्त प्रांत वैधानिक परिषद (यूनाइटेड प्रोविंस लेजिस्लेटिव काउंसिल) के एक अधिनियम द्वारा की गई थी। इसका मुख्य काम बोर्ड परीक्षाएं कराना, स्कूलों को मान्यता देना और पाठ्यक्रम निर्धारित करना है। बोर्ड ने पहली परीक्षा 1923 में आयोजित की थी। 10+2 परीक्षा पद्धति अपनाने वाला यह देश का पहला शिक्षा बोर्ड है। इससे पहले प्रयागराज विश्वविद्यालय हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षाएं कराता था।
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समय के साथ बोर्ड के कार्यालयों का विस्तार किया गया। वर्ष 1973 में मेरठ, 1978 में वाराणसी, 1981 में बरेली, 1987 प्रयागराज और 2016 में गोरखपुर में क्षेत्रीय कार्यालयों की स्थापना की गई। नैनीताल के रामनगर में भी एक क्षेत्रीय कार्यालय खोला गया, अब यह उत्तराखंड का हिस्सा है।