लखनऊ। छठवें चरण (Sixth Phase) के चुनाव (UP Election) में गोरखपुर-बस्ती मंडल की 41 सीटों पर वैसे तो हर सीट पर कड़ी प्रतिस्पर्धा है, लेकिन कुछ वीआईपी सीटों पर मतदाताओं से लेकर नेताओं तक की नजर गड़ी हुई है। यहां वीआईपी सीट से अर्थ मंत्रियों से लेकर पूर्व मंत्रियों वाली सीटों पर है। यहां की 10 सीटों पर 13 मंत्रियों और पूर्व मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। इनमें से अधिकांश मंत्री कई बार हार का स्वाद चख चुके हैं और दोबार वापसी करने में जुटे हैं। ये मंत्री व पूर्व मंत्री एक बार फिर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इस बार भी वहां चुनाव कांटे का है कुछ भी कहा नहीं जा सकता है कि किसकी किस्मत चमकेगी किसकी लुटिया डूबेगी।
इसमें गोरखपुर जिले की चार सीटें महत्वपूर्ण हैं। इनमें गोरखपुर शहर, खजनी, कैंपियरंगज और चिल्लूपार सीट शामिल है। देवरिया की दो सीटों रुद्रपुर और पथरदेवा में मंत्रियों और पूर्व मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। बात करें तो गोरखपुर मंडल में सात और बस्ती मंडल की तीन सीटों पर सबकी निगाहें लगी हैं। कुशीनगर की फाजिलनगर सीट भारतीय जनता पार्टी छोड़कर समाजवादी पार्टी में आये पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद के कारण महत्वपूर्ण हो गयी है, तो महराजगंज में फरेंदा की सीट पूर्व मंत्री शंखलाल माझी के कारण। सपा ने उन्हें नामांकन के दिन टिकट दिया।
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बस्ती की हरैया सीट पर पूर्व मंत्री राजकिशोर सिंह बहुजन समाज पार्टी से मैदान में हैं, तो सिद्धार्थनगर में दो सीटों पर दो मंत्री और एक पूर्व विधानसभा अध्यक्ष की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। पांच बार गोरखपुर से सांसद रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। यहां मुख्यमंत्री के सामने सभी चेहरे नये होने के कारण मुकाबला आसान माना जा रहा है। लोग यहां हार-जीत के बजाय जीत के अंतर पर चर्चा कर रहे हैं। इस सीट पर योगी का मुकाबला सपा की सुभावती शुक्ला, बसपा के ख्वाजा शमशुद्दीन और कांग्रेस की चेतना पांडेय से है।
खजनी से पूर्व केंद्रीय मंत्री श्रीराम चौहान की प्रतिष्ठा दांव पर
संतकबीरनगर की धनघटा सीट के विधायक रहे श्रीराम चौहान को भाजपा ने इस बार खजनी सीट से उतारा है। चौहान बस्ती से सांसद और वाजपेयी सरकार में संसदीय कार्य राज्यमंत्री रह चुके हैं। इनके सामने सपा से रूपावती बेलदार, बसपा से विद्यासागर और कांग्रेस से रजनी हैं।
चिल्लूपार में है कांटे का मुकाबला : बसपा सरकार में मंत्री और दो बार के विधायक रहे राजेश त्रिपाठी गोरखपुर की चिल्लूपार सीट से भाजपा प्रत्याशी हैं। उन्होंने लंबे समय तक यहां विधायक रहे पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी को लगातार दो बार हराया। 2017 में हरिशंकर तिवारी के पुत्र विनय शंकर तिवारी बसपा में आ गये और भाजपा के राजेश को कांटे की लड़ाई में हरा दिया। विनय इस बार सपा से हैं।
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पूर्व मंत्री फतेह बहादुर की वजह से चर्चा में कैंपियरगंज सीट : गोरखपुर की कैंपियरगंज विधानसभा सीट पूर्व मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह और उनके पुत्र पूर्व मंत्री फतेह बहादुर के चलते हमेशा चर्चा में रहती हैं। फतेह बहादुर भाजपा के टिकट पर दूसरी बार इस कैंपियरगंज से चुनाव मैदान में हैं। 2007 में बसपा सरकार में वह वन और पर्यावरण मंत्री रह चुके हैं। उनके सामने सपा की काजल निषाद, बसपा के चंद्रप्रकाश निषाद और कांग्रेस के सुरेंद्र प्रसाद निषाद चुनाव लड़ रहे हैं।
पथरदेवा सीट पर पूर्व और वर्तमान मंत्री आजमा रहे किस्मत
सपा सरकार में मंत्री रहे ब्रह्माशंकर त्रिपाठी और योगी सरकार के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही देवरिया की पथरदेवा सीट पर आमने-सामने हैं। इसके पहले दोनों कुशीनगर की कसया सीट के परंपरागत प्रतिद्वंद्वी हुआ करते थे।
रुद्रपुर में भी है पूर्व व वर्तमान मंत्रियों के बीच मुकाबला :
देवरिया की रुद्रपुर सीट पर भाजपा सरकार के मंत्री जयप्रकाश निषाद और बसपा सरकार में मंत्री रहे रामभुआल निषाद आमने-सामने हैं। नामांकन से ठीक पहले प्रदीप यादव का टिकट काटकर सपा ने रामभुआल को प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस से अखिलेश प्रताप सिंह और बसपा से पूर्व भाजपा विधायक सुरेश तिवारी भी मजबूती से मैदान में हैं।
इटवा सीट पर चुनाव लड़ रहे हैं पूर्व विधानसभा अध्यक्ष :
सिद्धार्थनगर की इटवा सीट पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय व बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री सतीश द्विवेदी फिर आमने-सामने हैं। पिछले चुनाव में सतीश ने माता प्रसाद को हराया था। पडरौना से दो बार बसपा और एक बार भाजपा से विधायक बने स्वामी प्रसाद मौर्य इस बार फाजिलनगर सीट से सपा के प्रत्याशी हैं।
शंखलाल माझी ने कठिन की फरेंदा की लड़ाई : समाजवादी पार्टी ने ठीक नामांकन के दिन संतकबीर नगर निवासी पूर्व मंत्री शंखलाल माझी को महराजगंज की फरेंदा सीट से लड़ाकर वहां की लड़ाई कठिन कर दी है। माझी मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव, दोनों की सरकार में मंत्री रहे हैं। 2017 में वह जलालपुर से चुनाव हार गये थे।
इस बार उनके सामने भाजपा विधायक बजरंग बहादुर सिंह, भारतीय जनता पार्टी छोड़कर बहुजन समाज पार्टी में आईं ईशू चौरसिया और कांग्रेस के वीरेंद्र चौधरी हैं।
जय प्रताप सिंह के चलते चर्चा में है बांसी सीट :
बांसी एस्टेट के राजा व स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह सातवीं बार विधायक बनने के लिए मैदान में हैं। उनके सामने सपा के नवीन उर्फ मोनू दुबे, बसपा के राधेश्याम पांडेय और कांग्रेस की किरण शुक्ला हैं। तीन बार विधायक व सपा सरकार में दो बार मंत्री रहे राजकिशोर सिंह बसपा से मैदान में हैं। हरैया सीट पर उनका मुकाबला भाजपा विधायक अजय सिंह से है।