प्रयागराज। राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल की हत्या के बाद सुर्खियों में आया माफिया अतीक अहमद ( Atiq Ahmed) के परिवार के हर उस सदस्य पर पुलिस ने इनाम घोषित कर रखा है जो जेल की चारदिवारी के बाहर खुले में सांस ले रहा है।
एमपी/एमएलए विशेष कोर्ट से मंगलवार को अतीक ( Atiq Ahmed) को सश्रम आजीवन कारावास और एक लाख रूपए जुर्माने की सजा सुनायी है। अतीक पर अलग अलग थानों में 100 से अधिक आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। जरायम की दुनिया में कदम रखने के बाद 17 साल के अतीक पर सबसे पहले 1979 में मोहम्मद गुलाम की हत्या का मामला खुल्दाबाद थाने में दर्ज हुआ था। उसके बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
अतीक अहमद धीरे-धीरे गुनाहों का बेताज बादशाह बन गया। उसने अपना एक मजबूत गिरोह बना लिया जिसका नाम आईएस-227 गैंग रखा। इस गिरोह से अनेक अपराधी जुड़ गए। गिरोह के लोगों का पेशा जमीन पर कब्जा करना, हत्या, लूट, डकैती और फिरौती से अपार संपदा अर्जित करना था। अतीक ने अकूत संपदा अर्जित करने के बाद राजनीति के लिए जमीन तैयार करनी शुरू की।
वर्ष 1989 में उसने प्रयागराज के पश्चिमी सीट से निर्दलीय चुनाव लड़कर प्रतिद्वंदी चांद बाबा को हरा दिया। चुनाव से पहले और चुनाव के दौरान अतीक और चांद बाबा के बीच कई गेैंगवार हुए। कुछ महीने बाद दिन दहाड़े चांंद बाबा की हत्या हो गयी। अब पूरे पूर्वांचल में उसकी बादशाहत कायम हो गयी। अतीक के रास्ते में जो भी रोड़ा बनने का काम किया उसे रास्ते से हटा दिया।
अतीक को हुई सजा तो सोशल मीडिया बोला #योगी है तो यकीन है
इसके बाद वह सपा, अपना दल के टिकट से मैदान में आता रहा एवं जीतकर पांच बार विधानसभा और संसद तक पहुंच गया। वर्ष 2002 में अपनी पुरानी इलाहाबाद पश्चिमी सीट से पांचवीं बार विधायक बना। साल 2004 में लोकसभा चुनाव में प्रयागराज की पश्चिम सीट के विधायक अतीक फूलपुर लोकसभा से सांसदी का चुनाव जीत गया।
शहर पश्चिमी विधायक की कुर्सी खाली हो गई। तब अतीक अपने छोटे भाई अशरफ को वहां से विधायक बनाना चाहता था। उपचुनाव की तारीख आई, अतीक के खास रहे राजू पाल ने भी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के टिकट पर विधायकी लड़ने का ऐलान कर दिया। राजू पाल ने अशरफ को हरा दिया। इसी जीत के साथ राजू पाल अतीक का दुश्मन बन गया। 25 जनवरी 2005 में राजू पाल की हत्या कर दी गई। हमले में राजू पाल और उनके साथ बैठे संदीप यादव और देवीलाल की भी मौत हो गई। इसमें अतीक और उसका भाई अशरफ समेत कई लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था।
राजू पाल हत्याकांड के आखिरी गवाह रहे पूजा पाल के चचेरे भाई उमेश पाल की भी 18 साल बाद 24 फरवरी 2023 को हत्या कर दी गई। उमेश पाल की पत्नी जया पाल ने 25 फरवरी को धूमनगंज थाने में अतीक अहमद, पत्नी शाइस्ता परवीन, बेटों, भाई अशरफ के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कराया है।
साबरमती जेल के लिए रवाना किया गया अतीक अहमद, प्रयागराज से निकला काफिला
उमेश हत्याकांड के बाद से फरार शाइस्ता परवीन पर इनाम होने के बाद अतीक अहमद का पूरा परिवार या तो इनामी है या जेल के अंदर है। जो लोग जेल में है उन पर भी कभी इनाम घोषित था। वर्ष 2007 में मायावती सरकार बनने के बाद अतीक अहमद फरार हो गए थे। राजू पाल हत्याकांड की फाइल फिर खोली गई थी। उस समय अतीक सांसद था, इसके बाद भी पुलिस ने उस पर 20 हजार का इनाम रखा था। बाद में उसे दिल्ली के प्रीतमपुरा इलाके से गिरफ्तार कर प्रयागराज लाया गया था। कई जेलों का सफर पार करते हुए अब वह साबरमती जेल में बंद है।
बरेली जेल में बंद भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ पर 40 से अधिक आपराधिक मुकदमे दर्ज है और उस पर एक लाख रूपए का इनाम है। उमेश पाल की हत्या के बाद से शाइस्ता परवीन फरार है। एमपी/एमपीएलए कोर्ट ने अशरफ को उमेश पाल अपहरण कांड से दोष मुक्त किया।
अतीक के पांच बेटे हैं। देवरिया कांड का आरोपी अतीक का बड़ा बेटा उमर भी दो लाख का इनामी रह चुका है। दूसरे नंबर के बेटे अली पर पुलिस 50,000 का इनाम घोषित कर चुकी है। एक लखनऊ जेल में तो दूसरा नैनी जेल में बंद है। उमेश हत्याकांड में मुख्य आरोपियों में तीसरे नंबर के बेटे असद पर पुलिस ने ढाई लाख से बढाकर पांच लाख का इनाम घोषित किया है, यह फरार है। दोनों नाबालिग बेटे एहजम और आबान बाल संरक्षण गृह में हैं।
फरार शाइस्ता परवीन पर पुलिस ने 25 हजार का इनाम घोषित किया है। इसकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस कई छिपने के ठिकानों पर तलाश कर रही है।