नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस की कार्यशैली को लेकर बड़ी तीखी टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि यूपी पुलिस एनकाउंटर का सहारा न ले। इसके साथ ही कोर्ट ने तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन कर दिया है।
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इस मामले की जांच लिए जस्टिस बीएस चौहान, यूपी के पूर्व डीजीपी केएल गुप्ता को नियुक्त किया है। आयोग का आफिस कानपुर में होगा। कानपुर एनकाउंटर की जांच सहित यूपी पुलिस की कार्यशैली की जांच कर दो माह में रिपोर्ट आयोग को देनी होगी।
बता दें कि उत्तर प्रदेश स्थित कानपुर के बिकरु गांव में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या के आरोपी विकास दुबे के एनकाउंटर मामले में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत को बताया कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) बीएस चौहान को जांच कमेटी का हिस्सा बनने के लिए संपर्क किया गया था। जस्टिस चौहान ने सहमति दी है। जिस पर सुपीम कोर्ट ने भी मुहर लगा दी। इसके साथ ही एसजी मेहता ने पूर्व पुलिस महानिदेशक केएल गुप्ता को भी जांच टीम का हिस्सा बनाने का सुझाव दिया है। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर अदालत में पेश मेहता ने कहा कि पूर्व डीजीपी के बैकग्राउंड की जांच की गई है।
सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा कि जांच टीम उन परिस्थितियों की जांच करेगा। जिसके चलते लगभग 64 आपराधिक मामलों में नामजद होने के बाद भी विकास दुबे को जमानत या पैरोल पर रिहा किया गया था। हम इसमें राज्य के अधिकारियों द्वारा कार्रवाई न करने की वजहों का पता भी लगाएंगे। इस पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एसए बोबडे ने कहा कि हम इसे सबसे महत्वपूर्ण कारक मानते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से जांच कमीशन को एक हफ्ते में गठित करने को कहा है जो जांच एक हफ्ते में शुरू कर दे। अदालत ने कहा कि सचिव स्तर का अधिकारी केन्द्र सरकार मुहैया कराएगी ना की यूपी सराकर। अदालत ने कहा कि आयोग दो महीने में अपनी रिपोर्ट दाखिल करेगा और आयोग हर पहलू की गंभीरता से जांच करेगा।