लखनऊ। यूपी में राज्यसभा चुनाव में बिजनेसमैन की एंट्री से मुकाबला काफी रोचक हो गया है। बता दें कि बीजेपी के आठ और समाजवादी पार्टी व बहुजन समाज पार्टी के एक-एक प्रत्याशी के नामांकन के बाद सभी का निर्विरोध निर्वाचन तय माना जा रहा था, लेकिन नामांकन के अंतिम दिन आखिरी समय में बनारस के बिजनेसमैन प्रकाश बजाज ने नामांकन दाखिल कर दिया। इससे राज्यसभा चुनाव का मुकाबला दिलचस्प हो गया है। इतना ही नहीं बीएसपी प्रत्याशी रामजी गौतम के राज्यसभा की राह में प्रकाश बजाज रोड़ा बन गए हैं।
प्रकाश बजाज ने नामांकन का समय खत्म होने से केवल दस मिनट पहले पर्चा दाखिल कर सबको चौंका दिया है। प्रकाश बजाज ने दोपहर 2.50 पर नामांकन किया। उनकी तरफ से सपा के 10 विधायकों का समर्थन दिखाया गया है। प्रकाश बजाज ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल किया है।
चर्चा है कि प्रकाश बजाज को समाजवादी पार्टी ने मैदान में उतारा है। हालांकि इसकी अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है। कुछ लोग प्रकाश बजाज के बीजेपी का डमी कैंडीडेट होना भी बता रहे हैं। ऐसे में दसवीं सीट के लिए प्रकाश बजाज और बसपा प्रत्याशी रामजी गौतम के बीच मुकाबला होगा।
विधानसभा के प्रमुख सचिव प्रदीप दुबे के अनुसार अगर किसी ने नामांकन वापस नहीं लिया या किसी का पर्चा खारिज नहीं हुआ। तो 11 प्रत्याशियों के बीच 10 सीटों के लिए नौ नवंबर को चुनाव होगा। बीजेपी के पास 304 और सपा के पास 48 विधायक हैं। ऐसे में बीजेपी और सपा अपने प्रत्याशियों को तो जीत दिला देगी। अब बसपा को अपने प्रत्याशी रामजी गौतम के लिए प्रकाश बजाज से मुकाबला करना होगा।
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नए समीकरण पर सपा के आईपी सिंह का कहना है कि बजाज ने भाजपा और बसपा के रणनीति को झटका दिया है। बसपा के पास केवल 18 विधायक हैं। बीजेपी के पास आठ प्रत्याशियों को जीताने के बाद भी वोट बच रहे थे। इसके अलावा कई निर्दल और छोटी पार्टियों का भी उसे समर्थन था। बजाज के आने से पहले बसपा अपने प्रत्याशी की जीत भी सुनिश्चित मान रही थी।
कारोबारी प्रकाश बजाज के आने से बसपा के उच्च सदन पहुंचने की राह एक तरफ मुश्किल हुई है तो दूसरी तरफ निर्दलीय और अन्य विधायकों की किस्मत के सितारे बुलंद होते नजर आ रहे हैं।
मौजूदा समय में यूपी विधानसभा में 403 में से 395 विधायक हैं। 8 सीटें खाली हैं। इनमें से 7 सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं। बीजेपी के पास फिलहाल 306 विधायक हैं और सपा के पास 48, बसपा के पास 18, कांग्रेस के 7, अपना दल के पास 9 और ओम प्रकाश राजभर की पार्टी के चार विधायक हैं। इसके अलावा चार निर्दलीय और एक निषाद पार्टी से विधायक हैं।
राज्यसभा सीट के लिए 36 विधायकों के समर्थन पर प्रथम वरीयता का वोट चाहिए। इस लिहाज से भाजपा को आठ सीट जीतने के लिए 288 विधायकों का समर्थन चाहिए। उसके पास 18 विधायकों के वोट अतिरिक्त हैं। ऐसे ही सपा के राम गोपाल यादव के जीतने के बाद भी 12 वोट अतिरिक्त बचेंगे।