लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बढ़ते क्राइम ग्राफ के बीच योगी सरकार एक्शन में आ गई है। गृह सचिव एसके भगत को हटा दिया गया है। उनकी जगह पर तरुण गाबा को गृह सचिव बनाया गया है। इससे पहले तरुण गाबा, आईजी विजिलेंस थे। उनकी जगह पर एसके भगत को भेजा गया है।
2001 बैच के आईपीएस अफसर तरुण गाबा केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से यूपी कैडर में वापस आए हैं। तरुण गाबा सीबीआई में तैनात थे और आईपीएस राकेश अस्थाना के केस के इंचार्ज थे। केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटने के बाद तरुण गाबा को आईजी (विजिलेंस) बनाया गया था।
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गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में बीते दिनों में लगातार हत्या, किडनैपिंग के मामले सामने आ रहे हैं। विपक्ष का आरोप है कि कानून व्यवस्था के मसले पर योगी सरकार लगातार फेल होती दिख रही। योगी सरकार पर अखिलेश यादव से लेकर मायावती और प्रियंका गांधी हमलावर हैं।
कुछ दिन पहले पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा था कि भाजपा सरकार में अगर गोरखपुर में हत्या, बलात्कार व अपहरण का यही हाल रहा तो शीघ्र ही मान्यवर को गोरखपुर का नाम बदलकर ‘गुनाहपुर’ करना पड़ेगा. जिनसे अपना शहर नहीं संभल रहा, वो प्रदेश क्या संभालेंगे. कोई उन्हें ज्ञान दे कि अपराध के रहते विकास नहीं हो सकता।
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वहीं, प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा था, ‘यूपी के सीएम सरकार की स्पीड बताते हैं और अपराध का मीटर उससे दोगुनी स्पीड से भागने लगता है. प्रत्यक्षम् किम् प्रमाणम्. ये यूपी में केवल दो दिनों का अपराध का मीटर है. यूपी सरकार बार-बार अपराध की घटनाओं पर पर्दा डालती है, मगर अपराध चिंघाड़ते हुए प्रदेश की सड़कों पर तांडव कर रहा है.’
बसपा अध्यक्ष मायावती ने प्रदेश की कानून व्यवस्था पर कहा कि उत्तर प्रदेश में कोरोना महामारी काल में भी अपराध थमने का नाम नहीं ले रहा है और अब तो लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माने जाने वाले मीडिया जगत के लोग भी यहां आए दिन हत्या व जुर्म के शिकार हो रहे हैं. आजमगढ़ मंडल में हुई पत्रकार की हत्या इसका ताजा उदाहरण है.