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केशव मौर्य के आवास के बाहर शिक्षक अभ्यर्थियों का हंगामा, पुलिस ने घसीट कर हटाया

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बेसिक शिक्षा विभाग के अभ्यर्थियों का आंदोलन तेज हो गया है। इस कड़ी में आज डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के सरकारी आवास के बाहर सुबह 69000 शिक्षक भर्ती मामले के अभ्यर्थियों ने धरना प्रदर्शन किया। उनके हाथों में कथित आरक्षण घोटाले से संबंधित तख्तियां थीं। जिसमें 27 प्रतिशत और 21 प्रतिशत आरक्षण की मांग को पूरा करने की बात कही गई थी। अभ्यर्थी शिक्षक भर्ती में आरक्षण नियमों का पालन न होने का आरोप लगा रहे हैं।

कई दिनों से अलग-अलग स्थानों पर धरना

भर्ती में घोटाले का आरोप लगाते हुए बड़ी संख्या में अभ्यर्थी उत्तर प्रदेश की राजधानी में कई दिनों से अलग-अलग स्थानों पर धरना दे रहे हैं। कालिदास मार्ग पहुंचकर अभ्यर्थियों ने सड़क पर लेटकर प्रदर्शन किया। अभ्यर्थी डिप्टी सीएम के आवास के मेन गेट तक पहुंच गए। बता दें कि यहीं पर सीएम योगी का आवास भी है। मौके पर पहुंची पुलिस अभ्यर्थियों को वहां से बलपूर्वक हटाया।

ये है पूरा मामला

अभ्यर्थियों का आरोप यह है की आरक्षण के अनुसार ओबीसी उम्मीदवारों की कुल संख्या 69000 रिक्तियों की कुल सीटों का 27 फीसदी होगी, यानी 18598 सीटें ओबीसी उम्मीदवारों के लिए होंगी। लेकिन राज्य द्वारा दिए गए कट-ऑफ प्रतिशत के आधार इस गणना के अनुसार कुल सीटें ओबीसी उम्मीदवारों के लिए 2637 हैं। सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों को obc उम्मीदवारों की सीटों पर समायोजित करने का आरोप भी अभ्यर्थियों ने लगाया है।

उम्मीदवारों के अधिकारों का उल्लंघन का आरोप

शिकायतकर्ता ने उत्तर प्रदेश में 69,000 टीचरों के सिलेक्शन में, आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों के अधिकारों का उल्लंघन का आरोप लगाया। उत्तर प्रदेश सरकार ने 2018 में 69,000 सहायक अध्यापकों की नियुक्ति की अधिसूचना के लिए विज्ञापन प्रकाशित किया था। इस विज्ञापन में प्रदेश में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए ‘उत्तर प्रदेश बेसिक एजुकेशन टीचर सर्विस रूल, 1981’ के अनुसार, आरक्षण को राज्य में लागू कानूनों और प्रावधानों के अनुसार चयन प्रक्रिया पर लागू किया जाना था।

इसके बाद भर्ती परीक्षा 6 जनवरी 2019 को आयोजित की जानी सुनिश्चित की गई थी, 1 मई 2020 को अंतिम चयन जारी की गई।शिकायतकर्ताओं के अनुसार अंतिम चयन सूची जो 1 मई 2020 को प्रकाशित की गई है उसमें आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के लिए आवंटित सीटें, अनारक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को दे दी गईं थी।

हुआ था आरक्षण के नियमों का उल्लंघन

रिजर्वेशन के नियमों का उल्लंघन किया गया था, जिसके बाद शिकायतकर्ता ने आयोग से संपर्क किया।  इसके बाद पिछड़ा वर्ग आयोग ने जांच आगे बढ़ाई, जिसमें आयोग को कई अनियमितताएं मिलीं, इसे लेकर पिछड़ा वर्ग आयोग ने यूपी सरकार को 29 मई 2021 को 15 दिन में जवाब देने को कहा था, लेकिन अभी तक सरकार की तरफ से कोइ जवाब नहीं दिया गया है।

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