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यूपी विधानसभा में आपराधिक मामलों की वापसी के मुद्दे पर हंगामा

यूपी विधानसभा

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश राज्य विधानसभा में राजनीतिक दलों के सदस्यों के आपराधिक मामले वापस लेने के मुद्दे पर मंगलवार को सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्ष खासकर सपा सदस्यों के बीच तीखी नोकझोंक और हंगामा हुआ।

विधानसभा के बजट सत्र के आठवें दिन प्रश्नकाल के दौरान बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के श्याम सुंदर शर्मा के सवाल का जवाब देते हुये कानून मंत्री बृजेश पाठक ने बताया कि अप्रैल 2017 से जुलाई 2020 तक राजनीतिक मामलों से संबधित 670 मुकदमे वापस लिये गये। इन मामलों के वापस लेने की वजह न्यायपालिका का बोझ कम करना था।

अपने पूरक प्रश्न में बसपा सदस्य ने पूछा कि किस दल के कितने नेताओं के मुकदमे वापस लिये गये और वह कौन से मामले थे, सरकार उन लोगों और मुकदमों के प्रकार की सूची मुहैया कराये। इस पर श्री पाठक ने कहा कि राजनीतिक मामलों को परिभाषित नहीं किया है, लेकिन कम गंभीर आरोप वाले मामलों को वापस लिया गया है।

सरकार के जवाब से असंतुष्ट विपक्षी सदस्य हंगामा करने लगे। सपा के सदस्य दलवार मुकदमे वापसी के आंकड़े सार्वजनिक करने की मांग पर अड़ गए। इस बीच भाजपा सदस्यों ने आरोप लगाया कि 2017 से पहले की सरकार में आतंकवादियों के खिलाफ मामले वापस लिये गये थे वहीं सपा का आरोप था कि मौजूदा सरकार ने ‘दंगाइयों’ के खिलाफ मामले वापस लिए हैं।

‘सशक्त एवं सुरक्षित नारी, हम सभी है जिम्मेदारी’

कानून मंत्री ने किसी दल का नाम लिए बगैर कहा कि पिछली सरकार ने उन आतंकवादियों के मामले वापस लिए थे, जिनके खिलाफ विस्फोटक पदार्थ अधिनियम और पोटा के तहत मामले दर्ज थे। इस पर नेता प्रतिपक्ष अपनी सीट पर खड़े हो गये और आरोप लगाया कि सरकार में कई ऐसे चेहरे है जिन पर गंभीर आरोप है और उनके मुकदमे वापस लिये गये हैं। यहां तक कि मुख्यमंत्री ने खुद अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को वापस ले लिया है।

भाजपा सदस्यों ने विधानसभा अध्यक्ष से नेता प्रतिपक्ष की टिप्पणी पर ऐतराज व्यक्त किया। उधर सपा सदस्य हंगामा करते हुये वेल पर आकर नारेबाजी करने लगे। बसपा के विधायक दल के नेता लालजी वर्मा ने कहा कि कानून मंत्री को सवाल का उपयुक्त जवाब देना चाहिए। इस पर श्री पाठक ने कहा कि सरकार भविष्य में भी ‘राजनीतिक मामलों’ को वापस लेना जारी रखेगी।

उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ‘सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास’ के नारे पर अमल कर रही है। हंगामें के बीच संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना स्पष्ट किया कि सभी पार्टियों के नेताओं के मुकदमे जनहित में वापस लिए गए हैं। कानून मंत्री ने कहा कि जब हमारी 2017 में सरकार बनी थी तो हमारी पहली कैबिनेट बैठक में प्रस्ताव कर्ज माफी का था और सपा की 2012 में सरकार बनी तो इनकी पहली कैबिनेट बैठक में आंतकवादियों के मुकदमे वापसी का प्रस्ताव था। इसलिए ये आंतकवादियों के समर्थक हैं।

 

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