उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने वर्ष 2018 में आयोजित हुई ग्राम पंचायत अधिकारी, ग्राम विकास अधिकारी एवं समाज कल्याण पर्यवेक्षक (सामान्य चयन) प्रतियोगितात्मक परीक्षा-2018 को निरस्त करने का निर्णय किया है। परीक्षा में धांधली की जांच विशेष जांच दल (एसआइटी) ने की थी। एसआइटी की जांच में परीक्षा में गड़बड़िया पाये जाने पर आयोग ने परीक्षा को रद करने का फैसला किया है। इसके साथ ही आयोग ने भविष्य में होने वाली तीन और परीक्षाओं को अग्रिम आदेशों तक स्थगित करने का फैसला किया है।
स्थगित की गईं परीक्षाओं में वन रक्षक एवं वन्यजीव रक्षक (सामान्य चयन) प्रतियोगितात्मक परीक्षा-2019, सहायक बोरिंग टेक्नीशियन (सामान्य चयन) प्रतियोगितात्मक परीक्षा-2019 और सहायक सांख्यिकीय अधिकारी एवं सहायक अधिकारी (सांख्यिकी) (सामान्य चयन) प्रतियोगितात्मक परीक्षा-2019 शामिल हैं। यह तीनों परीक्षाएं इस वर्ष क्रमश: चार अप्रैल, 25 अप्रैल और आठ मई को प्रस्तावित थीं। उप्र अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने 22 व 23 दिसंबर, 2018 में ग्राम पंचायत अधिकारी, ग्राम विकास अधिकारी व पर्यवेक्षक समाज कल्याण के कुल 1953 पदों पर भर्ती के लिए लिखित परीक्षा कराई थी।
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परीक्षा 16 जिलों के 572 परीक्षा केंद्रों में संपन्न हुई थी। आयोग को ओएमआर शीट की जांच के दौरान गड़बड़ी मिली थी। 136 अभ्यर्थियों की मूल ओएमआर शीट व कोषागार में सुरक्षित रखी गई ओएमआर शीट की प्रति में अंकों की भिन्नता पाई गई थी। इस पर आयोग ने 136 अभ्यर्थियों को परीक्षा से बाहर का रास्ता दिखा दिया था और उनके तीन वर्षों के लिए आयोग की किसी भी परीक्षा में शामिल होने पर रोक लगा दी गई थी।
मामले में आयोग के तत्कालीन अनुसचिव की ओर से वर्ष 2019 में लखनऊ के विभूतिखंड थाने में 136 अभ्यर्थियों के विरुद्ध एफआइआर दर्ज कराई गई थी। मामला कई जिलों से जुड़ा होने के कारण शासन ने इसकी जांच एसआइटी के हवाले कर दी थी। एसआइटी की जांच में गड़बड़ियां मिलने के कारण परीक्षा रद करने का निर्णय किया गया है। सूत्रों के मुताबिक ग्राम पंचायत अधिकारी, ग्राम विकास अधिकारी और समाज कल्याण पर्यवेक्षक की भर्ती के लिए लिखित परीक्षा कराने वाली संस्था शक के दायरे में है। इसी संस्था को तीन अन्य परीक्षाओं की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। लिहाजा इन तीन परीक्षाओं को स्थगित कर दिया गया है।