नई दिल्ली। दिन पर दिन भारत का चीन और पाकिस्तान के साथ तनाव बढ़ता जा रहा है। इसी क्रम में भारत अपनी सैन्य शक्तियों में लगातार इजाफा कर रहा है। भारतीय नौसेना के प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने देश के तीसरे विमानवाहक पोत की आवश्यकता जताई थी। मौजूदा समय में भारतीय नौसेना में एक ही विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य शामिल है, इसके साथ ही दूसरा पोत आईएनएस विक्रांत का निर्माण कार्य जारी है। ऐसे में भारतीय नौसेना को इन एयरक्राफ्ट कैरियर से ऑपरेट करने के लिए लड़ाकू विमानों की आवश्यक्ता है। जिसके लिए अमेरिकी हथियार निर्माता कंपनी बोइंग, रूसी मिकोयन और दसॉल्ट के बीच कड़ी प्रतिद्वंदिता बनी हुई है।
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वर्तमान में भारत अपने एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रमादित्य से रूस के 26 मिग-29के को ऑपरेट करता है। बाकी के लगभग 14 मिग-29 के विमानों को गोवा में भारतीय नौसेना के बेस आईएनएस हंसा पर तैनात हैं। ऐसे में अगर भारत का स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत 2022 तक सर्विस में आता है तो उसे नए लड़ाकू विमानों की जरूरत होगी। अभी तक मान्यता यह थी कि आईएनएस विक्रांत में भी विमानों को उड़ाने के लिए स्की जंप फैसिलिटी ही उपलब्ध है। ऐसे में अगर कोई भारी फाइटर जेट आता है तो उसके लिए इस एयरक्राफ्ट कैरियर के ऊपर से उड़ान भरने में परेशानी होगी।
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इसी दावे को झुठलाने और भारतीय एयरक्राफ्ट कैरियर के लिए अपनी उपयोगिता साबित करने किए बोइंग ने एफ/ए-18 सुपर हॉर्नेट लड़ाकू विमान ने सफलतापूर्वक स्काई-जंप लांच किया। जिसमें लड़ाकू विमान ने कम दूरी पर ऊपर की ओर घूमते वक्राकार (अपवर्ड-कर्व्ड) रैंप से उड़ान भरी। बोइंग कंपनी के अधिकारी अंकुर कनग्लेकर ने बताया कि वाशिंगटन में भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने इस परीक्षण को देखा।
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भारतीय नौसेना ने 2018 में अपने विमान वाहक पोतों के लिए 57 मल्टीरोल लड़ाकू विमानों को खरीदने की प्रक्रिया शुरू की थी। इन विमानों में स्काई-जंप उड़ान तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। वर्तमान में छह जंगी हवाई जहाज हैं जो स्की जंप तकनीकी वाले एयरक्राफ्ट कैरियर से ऑपरेट हो सकते हैं। इनमें राफेल (दसॉल्ट, फ्रांस), एफ/ए-18 सुपर हॉर्नेट (बोइंग, अमेरिका), मिग-29के (रूस), एफ-35बी और एफ-35सी (लॉकहीड मार्टिन, अमेरिका) और ग्रिपेन (साब, स्वीडन) शामिल हैं।