नई दिल्ली। अमेरिकी चुनाव में राष्ट्रपति व रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जो बाइडन के बीच कड़ा मुकाबला जारी है। नतीजों का अमेरिकी जनता सहित पूरी दुनिया बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रही है, लेकिन इस बीच चीन के लिए मुसीबत बढ़ गई है।
बता दें कि चुनाव प्रचार के दौरान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोरोना वायरस, ताइवान और भारत को लेकर चीन पर कड़ा प्रहार किया था। ट्रंप ने कोरोना को चाइना वायरस तक कह दिया था। अब जब बाइडन लगभग जीत की तरफ बढ़ रहे हैं। तब जानकारों का कहना है कि जो बाइडन की जीत भी चीनी ड्रैगन की टेंशन बढ़ने वाली है।
बड़ी खुशखबरी: फरवरी तक आ सकती है कोरोना की देसी वैक्सीन
विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका में जीत किसी की भी हो, लेकिन जो भी सत्ता में आएगा वो विस्तारवादी नीति अपनाने में लगे चीन के खिलाफ कठोर कदम ही उठाएगा। इस बारे में चीनी मामलों के अमेरिकी विशेषज्ञ मरिऑन स्मिथ ने साफ किया कि आज अमेरिका के लिए सुरक्षा, आर्थिक और मूल्यों के लिहाज से चीन सबसे बड़ा खतरा है और इसके लिए प्रशासन कड़े फैसले लेगा।
स्मिथ ने कहा कि बाइडेन और चीन के बीच अच्छी बातचीत रही है। साल 2013 में चीनी राष्ट्रेपति शी जिनपिंग ने जो बाइडेन को अपना पुराना मित्र बताया था। इसके बाद भी अब जब वो राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं तब वो चीन के खिलाफ कड़ा रूख अपना सकते हैं।
उन्होंने कहा जो बाइडन की नीतियां चीन के खिलाफ वैसी ही हैं, जैसी ट्रंप की रही हैं। बाइडन पहले ही कह चुके हैं कि वह चीन पर आर्थिक दबाव बना कर रखेंगे। बाइडन ने ऐलान किया था कि चीन के खिलाफ अभियान में ट्रंप से भी ज्यादा बढ़ावा देंगे। मानवाधिकारों के उल्लंघन के मुद्दे पर जो बाइडन ने चीन की कड़ी आलोचना की है। बाइडन ने चीन के उइगर मुसलमानों पर अत्याचार को ‘नरसंहार’ बताया था।
नीतीश कुमार ने चला इमोशनल कार्ड, बोले- यह मेरा अंतिम चुनाव है, अंत भला तो सब भला
वहीं, चुनाव प्रचार के दौरान जो बाइडन ने अमेरिका का सबसे बड़ा प्रतिद्वंदी चीन को ही बताया था। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी चीन है। और इस बात पर निर्भर करता है कि हम कैसे संभालते हैं। यह निर्धारित करेगा कि हम प्रतियोगी हैं या हम ताकत का प्रयोग करने वाले अधिक गंभीर प्रतियोगी हैं। इतना ही नहीं जो बाइडन ने चीन के साथ-साथ रूस को अमेरिकी सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया था।