उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि यूपी महेात्सव जैसे कार्यक्रम महज पैसों की बर्बादी और आत्ममुग्धता का शो है।
श्री लल्लू ने शुक्रवा को जारी बयान में कहा कि उनकी पार्टी यूपी महोत्सव के जरिये करोड़ों रूपये व्यय करके एक आभासी विकास का माहौल तय किये जाने के योगी सरकार के प्रयासों की कठोर स्वर में निन्दा करती है। यूपी महोत्सव अगर वास्तविक रोजगार का सृजन करता है तो हम उसका स्वागत करते हैं लेकिन आज राजधानी की सड़कें और मुख्यमंत्री आवास बेरोजगारों, भर्तियों में हुए घोटालों के पीड़ित नौजवानों से पटी पड़ी हैं। आज बेरोजगारी और वित्तीय घाटे से जूझ रहे प्रदेश में ऐसे आयोजनों पर करोड़ों रूपये व्यय करना योगी सरकार की असंवेदनशीलता का परिचायक है।
उन्होने कहा कि मुख्यमंत्री अपनी असफलताओं को छिपाने के लिए विकास का आभासी माहौल बना रहे है। ऐसा यह पहली बार नहीं है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने से लेकर आज तक विभिन्न आयोजन इस तरह के प्रदेश सरकार कर चुकी है जिसका नतीजा सिर्फ और सिर्फ सिफर रहा है। प्रदेश की त्रस्त जनता को संतृप्त करने के लिए यूपी महोत्सव के नाम पर म्यूजिकल फाउन्टेन संग वाटर स्क्रीन का झुनझुना दिखाया जा रहा है। पूरे प्रदेश में छोटे-मझोले उद्योगपति खुदकुशी करने के कगार पर हैं। राजधानी के चिकन उद्योग के कारीगर और उद्यमी कर्ज में डूबे हुए हैं।
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श्री लल्लू ने कहा कि प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में बुनकर रिक्शा चलाकर अपना जीवन यापन करने को मजबूर हैं लेकिन सरकार के पास इन उद्योगों को बचाने के लिए कोई स्पष्ट ब्लूप्रिन्ट नहीं है। कुम्हारों को चाक वितरित करने से क्या कुम्हार का परम्परागत रोजगार बचाया जा सकता है। आज जरूरत है छोटे और मझोले उद्योगों को आर्थिक पैकेज देकर उन्हें पुनः पुर्नजीवित करने का कार्य किया जाए, न कि ऐसे आयोजनों पर पैसे की बर्बादी की जाए।
उन्होने कहा कि योगी सरकार को इन्वेस्टर्स समिट सहित पूर्व में हुए तीन यूपी महोत्सव की उपलब्धियों का लेखाजोखा प्रदेश की जनता के सामने रखना चाहिए कि आखिर में करोड़ों रूपये व्यय करके आयेाजित किये गये उन आयोजनों से क्या हासिल हुआ। प्रदेश में कितने नये उद्योग लगे। कितने बीमार उद्योगों को पुर्नजीवित किया गया। किन लोगों को रेाजगार उपलब्ध कराया गया। ऐसे कुछ सवाल हैं जिनका जवाब प्रदेश की जनता मुख्यमंत्री से जानना चाहती है।