लखनऊ। उत्तर प्रदेश अब एक्सपोर्ट (Export) प्रदेश में भी बदल रहा है। बीते छह वर्ष में उत्तर प्रदेश को लैंड लॉक प्रदेश होने के बावजूद एक्सपोर्ट के क्षेत्र में पहचान मिलने लगी है। इन छह वर्षों में राज्य का निर्यात 88,967 करोड़ से बढ़कर 1.57 लाख करोड़ पहुंच गया है।
राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Modi) की मंशा के अनुरूप मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) प्रदेश में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के अलावा प्रदेश में बने प्रोडक्ट्स के एक्सपोर्ट पर विशेष ध्यान दे रहे हैं। इसके लिए ड्राई पोर्ट्स की स्थापना हो या फिर वाराणसी से हल्दिया के बीच जल मार्ग की शुरुआत, इन सभी के माध्यम से राज्य सरकार ने प्रदेश में निवेश कर रहे उद्यमियों, आंत्रप्रेन्योर्स के लिए संभावनाओं के नए द्वार खोल दिए हैं। राज्य के इन प्रयासों को केंद्र सरकार से प्रोत्साहन मिला है। केंद्र सरकार ने 43 सेंटर ऑफ एक्सपोर्ट एक्सीलेंस में उत्तर प्रदेश के 12 शहरों को भी चुना है।
प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी (CM Yogi) ने प्रधानमंत्री मोदी के देश को 5 ट्रिलियन डालर की इकोनॉमी बनाने के संकल्प के अनुरूप प्रदेश को देश के ग्रोथ इंजन के तौर पर स्थापित करने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए मुख्यमंत्री योगी ने प्रदेश को 5 वर्षों में वन ट्रिलियन डालर की इकोनॉमी बनाने के लिए पूरे तंत्र को काम पर लगा रखा है। प्रदेश के उद्यमियों, निवेशकों और आंत्रप्रेन्योर्स को तमाम तरह की सुविधाएं दी जा रही हैं। 25 सेक्टर में नई नीतियों के माध्यम से उद्योगों को बढ़ावा देने की योजना चलाई जा रही है। यूपीजीआईएस के माध्यम से मिले 35 लाख करोड़ के निवेश प्रस्तावों को धरातल पर उतारने के लिए फ्रेमवर्क तैयार किया जा रहा है। इन सभी चीजों ने प्रदेश के एक्सपोर्ट को बूस्ट-अप दिया है। इसकी बदौलत पहली बार प्रदेश का एक्सपोर्ट एक लाख करोड़ के पार पहुंचा है। 1.57 लाख करोड़ के एक्सपोर्ट को जल्द से जल्द 2 लाख करोड़ तक पहुंचाने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
ड्राई पोर्ट्स से भी मिल रहा प्रोत्साहन
राज्य सरकार ने यूपी वेयरहाउसिंग एवं लाजिस्टिक नीति 2022 के माध्यम से ड्राई पोर्ट्स की अवधारणा को पेश किया है। इसमें कई उद्यमी निवेश कर रहे हैं। दरअसल, उत्तर प्रदेश विभिन्न निर्यात क्लस्टरों से युक्त होने के साथ ही भूमि से घिरा हुआ राज्य है। ऐसे में समुद्री बंदरगाहों को निर्यात कार्गो के सुविधाजनक परिवहन के लिए प्रदेश में ड्राई पोर्ट्स के विकास पर जोर दिया जा रहा है। दरअसल ड्राई पोर्ट्स के तहत एक इनलैंड पोर्ट बना दिए जाते हैं, जहां एक्सपोर्टर और इंपोर्टर के बीच की कस्टम फार्मेलिटीज पूरी हो जाती हैं। इसके बाद यहां से कंटेनर्स को पोर्ट पर भेज दिया जाता है। ईज आफ डूइंग बिजनेस के साथ ही एक्सपोर्टर्स की सुविधा के लिए यह ड्राई पोर्ट्स बहुत महत्वपूर्ण हैं, इसीलिए यूपी में बहुत सारे ड्राई पोर्ट्स का निर्माण हो रहा है। अभी संचालित हो रहे ड्राई पोर्ट्स की बात करें तो मुरादाबाद रेल लिंक्ड संयुक्त घरेलू एवं एक्जिम टर्मिनल,रेल लिंक्ड प्राइवेट फ्रेट टर्मिनल और कानपुर में इनलैंड कंटेनर डिपो, दादरी टर्मिनल में आईसीडी कार्यरत है। दादरी में एक मल्टी मोडल लाजिस्टिक्स हब एवं बोराकी (ग्रेटर नोएडा में मल्टी मोडल ट्रांसपोर्ट हब (एमएमटीएच) भी विकसित किए जा रहे हैं। वाराणसी में 100 एकड़ क्षेत्र में भारत का प्रथम ‘फ्रेट विलेज’ विकसित किया जा रहा है। पूर्वी उत्तर प्रदेश के निर्यात केंद्रों को पूर्वी भारत के बंदरगाहों से जोड़ने वाला यह गांव इनबाउंड एवं आउटबाउंड कार्गो के लिए ट्रांस-शिपमेंट हब के रूप में कार्य करेगा।
जल मार्ग भी बन रहा बढ़ते एक्सपोर्ट (Export) का आधार
सरकारी प्रवक्ता के अनुसार एक्सपोर्ट के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश को प्रोत्साहित करने के लिए बीते दिनों पीएम मोदी ने वाराणसी से हल्दिया जल मार्ग को भी ग्रीन सिग्नल दिया था। हल्दिया मल्टीमॉडल टर्मिनल को वाराणसी से जोड़ता है और भारत बांग्लादेश प्रोटोकॉल मार्ग और पूर्वोत्तर से भी जुड़ा हुआ है। यह कोलकाता बंदरगाह और बांग्लादेश को भी जोड़ता है। इससे उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल से बांग्लादेश तक व्यापार करने में आसानी होगी। वाराणसी इसके केंद्र में होगा, जिससे यूपी के एक्सपोर्ट को पंख लगेंगे। यही नहीं, प्रयागराज को भी इस जल मार्ग से जोड़ने की दिशा में तेजी से कार्य हो रहा है।
निर्यात (Export) की क्षमता को केंद्र ने भी पहचाना
मोदी सरकार ने देश में नई फॉरेन ट्रेड पॉलिसी का ऐलान किया है। इसका मकसद देश में निर्यात को बढ़ाना है। सरकार का लक्ष्य है कि इसकी मदद से देश में निर्यात को बढ़ाकर साल 2030 तक दो ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाया जा सके। इससे देश का निर्यात तो बढ़ेगा ही, इसके साथ ही वाराणसी, मुरादाबाद और मीरजापुर जैसे शहरों की तस्वीर भी बदल जाएगी। दरअसल, नई फॉरेन ट्रेड पॉलिसी में चार नए शहरों में से तीन यूपी से हैं।
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मीरजापुर को हाथों से बने कारपेट, मुरादाबाद को कारपेट और वाराणसी को हैंडलूम और हैंडीक्राफ्ट के क्षेत्र में विशेषताओं के लिए यह उपलब्धि मिली है। इस लिस्ट में यूपी के अन्य 9 शहरों में केखरा (हैंडलूम के लिए), मलिहाबाद (हॉर्टीकल्चर के लिए), कानपुर (लेदर प्रोडक्ट्स के लिए), आगरा (लेदर प्रोडक्ट्स के लिए), फिरोजाबाद (चूड़ियों-ग्लास आइटम के लिए), सहारनपुर (हैंडीक्रॉफ्ट के लिए), भदोही (कालीन के लिए) और नोएडा (अपैरल प्रोडक्ट्स के लिए) पहले से ही शामिल हैं। इस लिस्ट में शामिल होने का मतलब है कि इन शहरों के पास निर्यात प्रोत्साहन निधि तक प्राथमिकता से पहुंच होगी। ये सभी शहर ईपीसीजी योजना के तहत निर्यात की पूर्ति के लिए सामान्य सेवा प्रदाता लाभ प्राप्त करने में सक्षम होंगे।
अच्छे भविष्य का संकेत है एक्सपोर्ट (Export) में ग्रोथ
जानकारों की मानें तो यूपी में जो एक्सपोर्ट (Export) ग्रोथ हो रही है और इस क्षेत्र में जो कार्य किया गया है उसे केंद्र ने भी रिकगनाइज किया है। जो योजनाएं चल रही हैं उसमें यूपी को मुख्य स्थान मिल रहा है। निश्चित तौर पर यूपी के आंत्रप्रेन्योर्स और एक्सपोर्टर को इसका लाभ मिल रहा है। यूपी में ये परिवर्तन अच्छे भविष्य का संकेत है। यूपी न सिर्फ बढ़ती अर्थव्यवस्था बल्कि एक्सपोर्ट आधारित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ता नजर आ रहा है। हमारे पास पोर्ट नहीं है। समुद्र का किनारा नहीं है। इसके बावजूद एक्सपोर्ट में अच्छी ग्रोथ इस बात का सबूत है कि जल्द ही यूपी बड़े-बड़े पोर्ट वाले प्रदेशों को भी टक्कर देगा।