देहरादून। उत्तराखंड में भिक्षावृत्ति से मुक्ति दिलाने के लिए उत्तराखंड पुलिस ‘ऑपरेशन मुक्ति अभियान’ शुरू करने जा रही है। इसके जरिए मासूम बच्चों को भिक्षा की प्रवृत्ति से छुटकारा दिलाकर शिक्षा दिलाए जाने की कोशिश होगी एक मार्च से शुरू होने वाले इस अभियान में पुलिस आम जनता से भी अनुरोध करेगी कि मासूम बच्चों को भिक्षा नहीं, शिक्षा दो। अभियान के तहत देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर, नैनीताल में एक एण्टी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट सहित चार टीम नियुक्त की जाएंगी। यह टीम भीख मांग कर गुजारा करने वाले मासूमों के जीवन को नई दिशा देने के उद्देश्य से काम करेंगीं।
भीख की प्रवृत्ति के खिलाफ उत्तराखंड पुलिस द्वारा राज्य भर में ‘ऑपरेशन मुक्ति अभियान’ को 1 मार्च से 30 अपैल तक चलाया जायेगा। अभियान के तहत भिक्षावृत्ति में फंसे बच्चों के परिजनों को इन मासूम बच्चों की पढ़ाई के लिए जागरूक किया जायेगा। साथ ही पुलिस सामाजिक संगठनों की मदद से इन मासूमों का स्कूलों में दाखिला करवाएगी।
इतना ही नहीं बल्कि पुलिस उन लोगों को भी इसके लिए जागरूक करेगी जो इन बच्चों को भीख देते हैं। इस मामले में डीजीपी अशोक कुमार का कहना है कि पुलिस उन का लोगों से भी अनुरोध है जो बच्चों को भीख देते हैं। वो भीख देना बंद करें, बल्कि भीख के बदले इन मासूम बच्चों को शिक्षित करने का प्रयास करें, जिससे आने वाले दिनों में भिक्षावृत्ति में फंसे बच्चों का भविष्य भी सुरक्षित हो।
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इस साल शुरू होने वाला ये अभियान 1 मार्च से शुरू होगा जो दो महीने तक राज्य के हर जिले में चलाया जायेगा। अभियान का उद्देश्य विभिन्न सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाओं के साथ मिलकर अभियान चलाया जायेगा, जिसके माध्यम से बच्चों द्वारा की जा रही भिक्षावृत्ति की प्रभावी रोकथाम कर, जनता को भिक्षा न दिये जाने के सम्बन्ध में जागरूक करना है। इसके साथ ही भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों का पुनर्वास हेतु नियमानुसार आवश्यक कदम उठाया जाना भी है।
अभियान का पहला चरण 1 मार्च से 15 मार्च तक रहेगा। इस चरण में भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों व उनके परिजनों का ब्योरा तैयार किया जाएगा। दूसरा चरण 16 मार्च से 31 मार्च तक रहेगा, जिसमें स्कूल, कालेजों, सार्वजनिक स्थानों, महत्वपूर्ण चैराहों, सिनेमाघरों, बस व रेलवे स्टेशनों, धार्मिक स्थलों, सम्पूर्ण कुम्भ क्षेत्र सहित महत्वपूर्ण स्थानों पर बच्चों को भिक्षा न दिये जाने के सम्बन्ध में जागरुकता अभियान चलाया जाएगा।
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इसके साथ ही भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों के परिजनों को भिक्षावृत्ति न करने व कौशल विकास के सम्बन्ध में जागरूक किया जाएगा। तीसरा चरण 1 अप्रैल से 30 अप्रैल तक चलेगा जिसके अन्तर्गत भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों को भिक्षावृत्ति से हटाकर उनकी एवं उनके परिजनों की काउंसलिंग की जाएगी। बच्चों के पुन: भिक्षावृत्ति में लिप्त पाये जाने पर उनके परिजनों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज होगा।