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Uttarkashi Tunnel Rescue: श्रमिकों के करीब पहुंचे रैट माइनर्स, सुरंग एक बाहर बढ़ी हलचल

Uttarkashi Tunnel Rescue

Uttarkashi Tunnel Rescue

उत्तरकाशी। उत्तराखंड के उत्तरकाशी में टनल (Uttarkashi Tunnel Rescue) में फंसे मजदूरों को निकालने की कोशिशें लगातार जारी हैं। रेस्क्यू टीमें रैट होल माइनिंग (Rat Hole Mining) और सुरंग के ऊपर से वर्टिकल ड्रिलिंग कर रही हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही मजदूरों को बाहर निकाला जा सकता है। रेस्क्यू टीमों ने मजदूरों के परिजनों से उनके कपड़े और बैग तैयार रखने को कहा है। मजदूरों को निकालने के बाद उन्हें हॉस्पिटल ले जाया जाएगा।

वर्टिकल ड्रिलिंग 40 और पांच मीटर हुई मैन्युअल ड्रिलिंग

आज सुबह तक सुरंग (Tunnel)  के ऊपर से वर्टिकल ड्रिलिंग 40 मीटर तक हो गई है। वहीं सुरंग के अंदर मैन्युअल ड्रिलिंग भी पांच मीटर तक पूरी कर ली गई है। वर्टिकल ड्रिलिंग अभी 46 मीटर और शेष है। वहीं मैन्युअल ड्रिलिंग सात मीटर और होना बाकी है। खुदाई पूरी होने के बाद इसमें 800 मिमी व्यास का पाइप डाला जाएगा। इससे ही मजदूर बाहर आएंगे। कोई अड़चन नहीं आई तो रेस्क्यू ऑपरेशन आज पूरा हो सकता है।

सुरंग के बाहर बढ़ी हलचल

जैसे-जैसे टीम मजदूरों के नजदीक पहुंच रही है वैसे-वैसे सुरंग के बाहर हलचल भी बढ़ गई है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्य मंत्री रिटायर्ड जनरल वीके सिंह भी सिलक्यारा पहुंचे हैं। वह मैन्युअल ड्रिलिंग का जायजा लेने के लिए सुरंग के अंदर गए हैं। फंसे हुए 41 मजदूरों के परिजनों को तैयार रहने और मजदूरों के कपड़े और बैग तैयार रखने को कहा गया है। मजदूरों को रेस्क्यू कर बाहर निकालकर चिन्यालीसौड़ अस्पताल ले जाया जाएगा।

सीएम धामी (CM Dhami) ने बौखनाग मंदिर में की पूजा

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Dhami) ने मंगलवार को सिलक्यारा टनल रेस्क्यू ऑपरेशन (Silkyara Tunnel Rescue Operation) का जायजा लिया। उन्होंने टनल के प्रवेश द्वार पर स्थित बाबा बौखनाग के मंदिर में पूजा अर्चना कर सभी श्रमिकों के सकुशल बाहर निकलने की प्रार्थना की।

सीएम धामी ने कहा कि सुरंग के अंदर एस्केप पैसेज 52 मीटर तक तैयार कर लिया गया है। 57 मीटर पर एस्केप पैसेज आर-पार हो जाएगा। अब मेटल के टुकड़े मिलना कम हो गए हैं। इसलिए जल्द रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा होने की उम्मीद है।

क्या है रैट होल माइनिंग?

– सिल्क्यारा सुरंग (Silkyara Tunnel) में बाकी हॉरिजेंटल खुदाई मैन्युअल विधि से की जा रही है। इसमें सुरंग बनाने में विशेष कौशल रखने वाले व्यक्तियों को चुना गया है। इन्हें रैट-होल माइनर कहा जाता है। रैट-होल माइनिंग अत्यंत संकीर्ण सुरंगों में की जाती है। कोयला निकालने के लिए माइनर्स हॉरिजेंटल सुरंगों में सैकड़ों फीट नीचे उतरते हैं। चुनौतीपूर्ण इलाकों खासकर मेघालय में कोयला निकालने के लिए इसका विशेष तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।

– 2014 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने मजदूरों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस पर प्रतिबंध लगा दिया था। एनजीटी द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के बावजूद, अवैध रूप से रैट-होल खनन जारी है।

Uttarkashi Tunnel Rescue: टनल रेस्क्यू ऑपरेशन अपडेट 

– उत्तराखंड सरकार के नोडल अधिकारी नीरज खैरवाल ने स्पष्ट किया कि रेस्क्यू साइट पर लाए गए लोग रैट माइनर्स नहीं बल्कि इस तकनीक में विशेषज्ञ लोग हैं।

12 नवंबर से फंसे हैं मजदूर

उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सिलक्यारा सुरंग केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी चारधाम ‘ऑल वेदर सड़क’ (हर मौसम में आवाजाही के लिए खुली रहने वाली सड़क) परियोजना का हिस्सा है। ब्रह्मखाल-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर बन रही यह सुरंग 4.5 किलोमीटर लंबी है। 12 नवंबर को सुरंग का एक हिस्सा ढह गया। इससे मजदूर सुरंग के अंदर ही फंस गए। इन्हें निकलने के लिए 16 दिन से रेस्क्यू अभियान जारी है। लेकिन अभी तक कोई खास सफलता नहीं मिली।

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