नई दिल्ली. वैक्सीनेशन पर की गई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) की स्टडी में कुछ ऐसी जानकारी सामने आई है। जो तीसरी लहर के बीच हर किसी को मुस्कुराने पर मजबूर कर देगी।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, वैक्सीन कोरोना के सबसे खतरनाक और तेजी से फैलने वाले डेल्टा वैरिएंट से होने वाली मौतों से 99% तक सुरक्षा मुहैया कराती है। रिसर्च के रिजल्ट से पता चला है कि वैक्सीनेशन के बाद संक्रमित होने वाले 9.8% लोगों को ही अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ी, जबकि सिर्फ 0.4% संक्रमितों की मौत हुई। वैक्सीनेट व्यक्ति के कोरोना संक्रमित होने पर उसे ब्रेकथ्रो इंफेक्शन कहा जाता है।
वैरिएंट का पता लगाने के लिए 244 सैंपल लिए गए
NIV की स्टडी में सामने आया है कि डेल्टा वैरिएंट का पहला केस अक्टूबर 2020 में महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में मिला था। कोरोना की दूसरी लहर के लिए इस वैरिएंट को ही जिम्मेदार माना जाता है। स्टडी के लिए 53 सैंपल महाराष्ट्र से मार्च और जून के बीच लिए गए थे। सबसे ज्यादा 181 सैंपल कर्नाटक और सबसे कम 10 पश्चिम बंगाल से लिए गए। वायरस के वैरिएंट का पता लगाने के लिए इन सैंपल्स की जेनेटिक सिक्वेंसिंग भी की गई।
ज्यादातर युवाओं के सैंपल लिए गए
स्टडी के लिए ज्यादातर 31 से 56 साल के लोगों के सैंपल लिए गए थे। इसमें 65.1% पुरुष थे। 71% मरीजों में संक्रमण के लक्षण ज्यादा थे। 69% को बुखार (समान्य लक्षण) था। 56% संक्रमितों को सिरदर्द और उल्टी के लक्षण थे। 45% को कफ और 37% को गले में दर्द की समस्या थी।