आजकल की लाइफस्टाइल और गलत खानपान की आदतों की वजह से बहुत से लोग पाचन से जु़ड़ी समस्याओं से जूझते रहते हैं। लेकिन अगर आप चाहते हैं कि कब्ज, एसिडिटी और गैस की समस्या न परेशान करें तो रोजाना वज्रासन (vajrasana) का अभ्यास फायदेमंद है। इस आसन को करने से पेट की दिक्कतों से आराम मिलता है। तो चलिए जानें इस आसन को करने का तरीका।
इस आसन को वज्र आसन (vajrasana) इसलिए कहा जाता है क्योंकि ये हीरे और वज्र के आकार में बैठकर किया जाता है। इस आसन में बैठकर आप चाहें तो प्राणायाम भी कर सकते हैं। वज्रासन (vajrasana) खाने को तेजी से पचाने में मदद करता है। इसलिए ये आसन खाने के बाद करने का नियम है।
इस आसन को करने के लिए सबसे पहले घुटनों को पीछे की ओर मोड़ लें। अब अपने नितंब को अपनी एड़ी पर रख लें। ध्यान रहे कि आपके दोनों पैर एक दूसरे को छूने नहीं चाहिए। अब अपनी सिर, गर्दन और रीढ़ की हड्डी को एक सीधी रेखा में रखें और अपनी हथेलियों को अपने जांघो पर रख लें। कुछ देर तक इस अवस्था में बैठ रहें।
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वज्रासन (vajrasana) के लाभ
- व्रजासन करने से आपके पेट के नीचे के हिस्से में रक्त संचार बढ़ता है, जिससे पाचन प्रक्रिया में सुधार आता है।
- भोजन करने के बाद वज्रासन में बैठने से भोजन अच्छी तरह से पच जाता है।
- व्रजासन करने से दर्द में आराम मिलता है साथ ही पैर और जांघो की नसें मजबूत होती हैं।
- इस आसन को करने से गठिया, वात रोग की सम्भावना कम होती है।
- वज्रासन में रीढ़ की हड्डी भी मजबूत रहती है।
जिन लोगों के घुटने में समस्या होती है उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिए। अगर आपकी रीढ़ की हड्डी में कोई समस्या है तो आपको यह आसन नहीं करना चाहिए। अगर कोई गर्भवती महिलाएं इस आसन को करना चाहती हैं तो उन्हें अपने घुटनों में थोड़ा अंतर बनाकर रखना चाहिए , इससे पेट पर दबाव नहीं पड़ता है।