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इस दिन रखा जाएगा वर लक्ष्मी व्रत, जानें पूजन विधि एवं महत्व

Varalakshmi

Varalakshmi

सावन माह में आने वाला वरलक्ष्मी (Varalakshmi) का व्रत देवी लक्ष्मी को समर्पित है और दक्षिण भारत में इसका विशेष महत्व है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने परिवार की सुख-समृद्धि और पति की लंबी आयु के लिए यह व्रत रखती हैं। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और विधि-विधान से पूजा करने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों के घरों को धन-धान्य से भर देती हैं। यह व्रत साक्षात लक्ष्मी के आठ रूपों, आदि लक्ष्मी, धन लक्ष्मी, धैर्य लक्ष्मी, गज लक्ष्मी, संतान लक्ष्मी, विजय लक्ष्मी, विद्या लक्ष्मी और धान्य लक्ष्मी की पूजा के बराबर माना जाता है। पंचांग के अनुसार, इस साल वरलक्ष्मी व्रत 8 अगस्त 2025, शुक्रवार को रखा जाएगा।

वरलक्ष्मी व्रत (Varalakshmi Vrat) के शुभ मुहूर्त

सिंह लग्न (सुबह का मुहूर्त): सुबह 07:15 बजे से 09:17 बजे तक
वृश्चिक लग्न (दोपहर का मुहूर्त): दोपहर 01:41 बजे से 03:59 बजे तक
कुंभ लग्न (शाम का मुहूर्त): शाम 07:44 बजे से 09:14 बजे तक
वृषभ लग्न (मध्यरात्रि का मुहूर्त): रात 12:21 बजे से 02:22 बजे तक (9 अगस्त)

वरलक्ष्मी व्रत (Varalakshmi Vrat) की पूजन विधि

वरलक्ष्मी (Varalakshmi) व्रत की पूजा विधि सरल और पवित्र होती है। व्रत रखने वाली महिलाएं इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करती हैं और स्वच्छ वस्त्र धारण करती हैं। इसके बाद सबसे पहले, घर में पूजा का स्थान साफ करके एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं। उस पर चावल का ढेर रखें और एक कलश स्थापित करें। कलश में जल, अक्षत, सुपारी, सिक्के और हल्दी डालकर रखें। कलश के ऊपर आम के पत्ते और नारियल रखें।

अब देवी लक्ष्मी की मूर्ति या फोटो को कलश के पास स्थापित करें और देवी का आह्वान करें।देवी लक्ष्मी को लाल वस्त्र, आभूषण और फूलों से सजाएं। उन्हें मिठाई, फल और पंचामृत का भोग लगाएं। पूजा के दौरान ‘ॐ ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद महालक्ष्मीये नमः’ मंत्र का जाप करें। इसके बाद वरलक्ष्मी व्रत कथा सुनें और आखिर में देवी की आरती करें। अगले दिन सुबह देवी को भोग लगाकर और प्रसाद सभी में बांटकर व्रत का पारण करें।

वरलक्ष्मी (Varalakshmi) व्रत का महत्व

वरलक्ष्मी (Varalakshmi) व्रत का विशेष महत्व दक्षिण भारत में देखा जाता है, विशेषकर तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र में। यह व्रत सौभाग्य, समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति के लिए रखा जाता है। ‘वर’ का अर्थ है ‘वरदान’ और ‘लक्ष्मी’ का अर्थ है धन और वैभव की देवी। ऐसी मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी आठ रूपों में भक्तों को आशीर्वाद देती हैं। वरलक्ष्मी व्रत का पालन करने से न केवल धन की प्राप्ति होती है, बल्कि परिवार में सुख-शांति, समृद्धि और सौभाग्य भी आता है। यह व्रत माता लक्ष्मी के आशीर्वाद से सभी प्रकार के कष्टों और दुखों को दूर करता है। इस दिन व्रत करने से सुहागिनों को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है।

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