हिंदू धर्म में वरुथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashi) का खास महत्व हैं। इस दिन जगत के पालन हार श्री हरि विष्णु की पूजा की जाती है। यह व्रत वैशाख माह कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के दिन को किया जाता ह। मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से पूजा और व्रत का पालन करने से व्यक्ति सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है। साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि आती है। वहीं द्वादशी तिथि पर शुभ मुहूर्त में पारण करने से व्रत का पूर्ण लाभ प्राप्त होता है।
वरुथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashi) पारण का समय
वैदिक पंचांग के अनुसार, वरुथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashi) का पारण अगले दिन यानी बृहस्पतिवार 25 अप्रैल को सुबह 5 बजकर 46 मिनट से लेकर 8 बजकर 23 मिनट तक किया जा सकता है। इस दौरान व्रती पारण कर सकते हैं।
कैसे करें व्रत का पारण
वरुथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashi) तिथि के अगले दिन स्नान कर साफ वस्त्र धारण कर लें। उसके बाद पूजा घर की साफ-सफाई कर लें और विधि-विधान से पूजा करें। साथ ही पारण में भगवान विष्णु के भोग में तुलसी पत्र से करें। इसके बाद व्रती सात्विक भोजन ग्रहण कर पारण करें। ध्यान रहें व्रती पारण से पहले दान अवश्य करें।
वरुथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashi) का महत्व
धार्मिक मान्यता के अनुसार, वरुथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashi) का व्रत करन व्यक्ति को भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। इसके अलावा सभी प्रकार के दुख, कष्ट और दरिद्रता दूर होती है। पद्म पुराम में इस व्रत के बारे में बताया गया है कि वरुथिनी एकादशी व्रत करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती हैऔर सभी तरह के पाप नष्ट हो जाते हैं।