वट सावित्री व्रत (Vat Savitri) पर महिलाएं अपने पति की लबी उम्र के लिए वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Fast) रखती हैं। इस दिन वट वृक्ष की पूजा की जाती है। महिलाएं सुबह नए कपड़े पहनकर श्रंगार करके वट वृक्ष की परिक्रमा करती है। इसके बाद चारों ओर पीला धागा लेपटा जाता है और कथा सुनी जाती है।
इस दिन भीगे हुए चने खाने की भी परंपरा है। कहा जाता है कि इस दिन 11 भीगे हुए चने बिना चबाए खाए जाते हैं। उसी को खाकर व्रत का समापन होता है। इस दिन दान पुण्य का भी कास महत्व है। कई जगह इस दिन सास को बायना देने की भी परंपरा है। कहा जाता है कि इस दिन सास को खाना, फल, कपड़े आदि का दान करना बहुत शुभ होता है।
इसके अलावा अपने से किसी भी बड़े को भी दान किया जाता है। हाथ का पंखा, खरबूज और आम का दान के लिए इस्तेमाल होता है। इस व्रत में वट वृक्ष के पूजे जाने के पीछे भी एक कहानी है।
कहा जाता है कि इस दिन सावित्री ने अपने पति के लिए वट वृक्ष के नीचे तप कर पति को यमराज से छोड़ने पर मजबूर कर दिया था। इसीलिए महिलाएं हर साल वट वृक्ष की पूजा करती हैं। इस व्रत को करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य और संतान की प्राप्ति होती है।