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वाहनों के उत्सर्जक भारत स्टेज-6 मानक नहीं होंगे लागू

कृषि उत्पाद

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नई दिल्ली। वाहनों के उत्सर्जक मानक भारत स्टेज (बीएस-6) को लेकर फैली भ्रांति को दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने ट्रैक्टर, पावर टिल्लर्स व संयुक्त हार्वेस्टर आदि कृषि वाहनों को भारत स्टेज हटाकर ट्रेम स्टेज-4 (टीएम) श्रेणी में शामिल कर लिया है। वहीं, निर्माण कार्य में लगे वाहनों को कृषि वाहनों से पृथक कंस्ट्रक्शन इक्यूपमेंट व्हीकल-4 (सीईवी) श्रेणी में रखा है।

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सरकार ने कृषि वाहनों पर उत्सर्जक मानक टीएम-4 एक अक्तूबर 2021 से लागू करने का फैसला किया है। जबकि कार व अन्य व्यवसायिक वाहनों पर एक अक्तूबर 2020 में बीएस-6 मानक लागू होंगे। इतना ही नहीं टीएम-5 मानक के ट्रैक्टर 2024 के बाद बाजार में आएंगे। इससे लाखों किसानों व ट्रैक्टर कंपनियों को राहत मिलेगी। सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रायल ने इस बाबत गत पांच अगस्त को आपत्ति-सुझाव के लिए प्रारूप अधिसूचना जारी कर दी है।

सड़क परिवहन मंत्रालय के वरिष्ठ मकैनिकल इंजीनियर ने बताया कि उत्सर्जक मानक भारत स्टेज-6 को लेकर बाजार व वाहन उद्योग में भ्रम की स्थिति बनी हुई है। इसलिए ट्रैक्टर, पावर ट्रिलर, कंबाइन हावेस्टर आदि कृषि वाहनों को बीएस-6 श्रेणी के बजाए ट्रेम स्टेज-4 में कर दिया गया है। इसकेसाथ ही निर्माण कार्य के वाहनों को कंस्ट्रक्शन इक्यूपमेंट व्हीकल-4 (सीईवी) पृथक श्रेणी में रखा गया है। उन्होंने कहा कि निजी व व्यवसायिक वाहनों के लिए उत्सर्जक मानक भारत स्टेज-6 एक अक्तूबर 2020 से लागू हो जाएंगे।

ट्रैक्टर व कृषि उपकरणों के लिए उत्जर्सक मानक टीएम-4 अगले साल एक अक्तूबर 2021 में लागू होंगे। जबकि कृषि वाहनों पर एक अप्रैल 2024 से टीएम-5 मानक लागू होंगे। अभी यूरोप व दूसरे विकसित देशों में तीन व चार उत्सर्जक मानक चल रहे हैं। निर्माण कार्य के वाहनों पर एक अप्रैल से लागू होने वाले उत्सर्जक मानक सीईवी-4 को छह माह की छूट दी गई है। इंजीनियर ने बताया कि कृषि वाहनों पर छूट के लिए कृषि मंत्रालय, ट्रैक्टर निर्माताओं, कृषि संगठनों ने छूट देने की मांग की थी।

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विदित हो कि सरकार ने यह फैसला तेजी से बढ़ते वायु प्रदूषण पर नियंत्रण करने के लिए सात जून को निजी, व्यवसायिक पर एक अक्तूबर से बीएस-6 मानक लागू करने संबंधी अधिसूचना जारी की है। इन वाहनों की पहचान हरी व नारंगी नंबर प्लेट से होगी। नए मानक लागू होने पर वाहनों व उपकरणों की उत्पादन लागत बढ़ जाएगी। इसके अलावा वाहन निर्माता कंपनियों को फैक्ट्रियों में बदलाव करने होंगे। जिसमें मोटा पैसा खर्च होगा। अदालत ने भी बीएस-6 वाहनों पर सख्त रवैया अपना रखा है।

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