इस साल फाल्गुन माह की शुरुआत 13 फरवरी से हो रही है, जिसका समापन 14 मार्च को होगा। फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकदाशी को विजया एकादशी (Vijaya Ekadashi) के नाम से जाना जाता है। हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का खास महत्व माना गया है। धार्मिक मान्यता है कि एकादशी के दिन भगवान विष्णु के निमित्त व्रत रखने और पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं। तुलसी को हिंदू धर्म में ‘विष्णुप्रिया’ कहा गया है।
तुलसी का पौधा भगवान विष्णु को बहुत प्रिय है और इसकी पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। ऐसे में अगर आप भगवान विष्णु को समर्पित दिन यानी एकादशी के दिन तुलसी की पूजा करते हैं और तुलसी से जुड़े कुछ उपाय करते हैं, तो यह बहुत शुभ फलदायी हो सकता है। आइए जानते हैं एकादशी पर आपको तुलसी से जुड़ा क्या काम करना चाहिए।
विजया एकादशी (Vijaya Ekadashi) 2025 कब है?
फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 23 फरवरी को दोपहर 1:55 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इस एकादशी तिथि का समापन 24 फरवरी को दोपहर 1:44 मिनट पर होगा। ऐसे में, विजया एकादशी का व्रत 24 फरवरी को रखा जाएगा।
विजया एकादशी (Vijaya Ekadashi) पर तुलसी पूजा ऐसे करें
विजया एकादशी पर सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और इसके बाद पूरे घर में गंगाजल से छिड़काव करें। इसके बाद तुलसी माता को लाल चुनरी चढ़ाएं और उनके समक्ष देसी घी का दीपक जलाएं। मान्यता है कि ऐसा करने से मां लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है, जिससे सारी आर्थिक परेशानियां दूर हो सकती हैं। साथ ही, भगवान विष्णु और देवी तुलसी का भी आशीर्वाद घर पर बना रहता है।
जरूर करें तुलसी से जुड़ा यह काम
विजया एकादशी (Vijaya Ekadashi) के दिन आप घर में सुख-समृद्धि बनाए रखने के लिए एक खास उपाय कर सकते हैं। इसके लिए विजया एकादशी के दिन तुलसी के पौधे में लाल कलावा बांध दें। धार्मिक मान्यता है कि एकादशी के दिन तुलसी में कलावा बांधने से जीवन में अद्भुत लाभ देखने को मिलते हैं और सभी तरह की समस्याएं भी दूर होने लगती हैं। इसके अलावा, आप विजया एकादशी के दिन नीचे दिए गए मंत्रों का जाप भी कर सकते हैं।
तुलसी जी के मंत्र – महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते।।
तुलसी गायत्री – ॐ तुलसीदेव्यै च विद्महे, विष्णुप्रियायै च धीमहि, तन्नो वृन्दा प्रचोदयात् ।।
तुलसी स्तुति मंत्र –
देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः
नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।
तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।
धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।
लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।
तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।