नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय उत्तर प्रदेश के दुर्दांत अपराधी विकास दुबे के मुठभेड़ मामले की जांच के लिए राज्य सरकार की ओर से गठित न्यायिक आयोग को पुनर्गठित करेगा और इस बारे में बुधवार को आदेश जारी करेगा।
मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रमासुब्रमण्यम की खंडपीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश हरीश साल्वे की दलीलें सुनने के बाद कहा कि वह राज्य सरकार की ओर से गठित जांच आयोग का पुनर्गठन करके उसमें शीर्ष अदालत के एक पूर्व न्यायाधीश और सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी को जोड़ेगी।
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राज्य सरकार ने जांच आयोग के पुनर्गठन को लेकर हामी भरी, उसके बाद न्यायालय ने बुधवार को सुनवाई की तारीख मुकर्रर करते हुए मेहता को संबंधित अधिसूचना का मसौदा उस दिन पेश करने का निर्देश दिया। खंडपीठ ने कहा कि वह मसौदा देखने के बाद आदेश जारी करेगी।
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न्यायालय पेशे से वकील घनश्याम उपाध्याय, अनूप प्रकाश अवस्थी, विवेक तिवारी के अलावा गैर-सरकारी संगठन पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) तथा कुछ अन्य याचिकाकर्ताओं की याचिकाओं की संयुक्त सुनवाई कर रही थी।सूत्रों ने कहा कि हाल में केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और अमेरिका के वाणिज्य मंत्री विल्बर राेस के बीच अनौपचारिक बातचीत का बेहतर परिणाम सामने आयेगा।
बातचीत के दौरान दोनों नेताओं ने भारत- अमेरिका के बीच जारी व्यापार चर्चाओं को जल्दी समाप्त करने और मुक्त व्यापार समझौते की संभावनाओं पर सहमति जताई। बातचीत के दाैरान गोयल ने उन 24 भारतीय वस्तुएं को अमेरिका में बाल श्रम के आधार पर प्रतिबंधित करने का मामला उठाया। इस पर रोस ने दोनों देशों के श्रम विभाग के अधिकारियों के बीच बैठक की पेशकश की। गोयल ने अमेरिका में भारत से झींगा के आयात पर प्रतिबंध का भी उल्लेख किया।
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रॉस ने इस संबंध में अमेरिकी विभाग के अधिकारियों और समुद्री संरक्षण कार्यालय तथा भारतीय मत्स्य विभाग और वन और पर्यावरण मंत्रालय के बीच चर्चा करने पर सहमति व्यक्त की। अमेरिका ने झींगा मछली के आयात पर इस आधार पर लगाया गया था कि भारत में मछली पकड़ने का तरीका समुद्री कछुओं की रक्षा के लिए अमेरिकी नियमों के अनुरूप नहीं है।
भारतीय निर्यात बढ़ाने पर जाेर देते हुए गोयल ने कहा है कि सरकार टेलीविजन सेट, क्लोज्ड सर्किट टीवी, एयर कंडीशनर्स आदि चुनिंदा इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों की पहचान कर रही है जिनका देश में व्यापक स्तर पर विनिर्माण हो सकता है और बड़ी मात्रा में निर्यात किया जा सकता है। उन्होेंने इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर निर्यात संवर्धन परिषद से ऐसे उत्पादों और नीति में बदलाव के संबंध में विशेष सुझाव देने काे कहा है। सरकार ऐसे उत्पादों के विनिर्माण और निर्यात के लिए एक अनुकूल माहौल तैयार करने में सहायता करेगी।इससे पहले सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था के हालात पर कई सवाल खड़े किये। मेहता ने जब न्यायालय को बताया कि दुबे पर 65 मामले दर्ज थे और वह पैरोल पर बाहर था। इस पर न्यायमूर्ति बोबडे ने कहा कि विकास दुबे क्या था, यह न्यायालय को मत बताइये। उन्होंने कहा, “आप यह बताइये कि इतनी वारदात को अंजाम देने के बाद भी वह जमानत पर बाहर कैसे था?” न्यायालय ने उसकी जमानत संबंधी सारे आदेश सरकार से मांगे।
न्यायालय ने तेलंगाना के हैदराबाद में हुई मुठभेड़ की तुलना जब दुबे की मुठभेड़ से की तो मेहता ने कहा कि दोनों मुठभेड़ को एक जैसा नहीं समझा जाना चाहिए। इस पर न्यायमूर्ति बोबडे ने पूछा, “मिस्टर सॉलिसिटर जनरल हमें बताइये कि यह हैदराबाद मुठभेड़ से किस तरह अलग है?” उन्होंने कहा कि सरकार की जिम्मेदारी होती है राज्य में कानून व्यवस्था कायम करना। इस बीच याचिकाकर्ताओं में से एक -पीयूसीएल- की ओर से मामले की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारिख ने दलील दी कि 2017 में राज्य में 1700 से ज्यादा मुठभेड़ हुई। इसलिए इन मुठभेड़ों की जांच भी शीर्ष अदालत की निगरानी में करायी जानी चाहिए।
उत्तर प्रदेश पुलिस महानिदेशक की ओर से पेश हो रहे वरिष्ठ अधिवक्ता साल्वे ने दलील दी, “यह केस हैदराबाद से अलग है। विकास दुबे जैसे गैंगस्टर से यदि सामना हो तो पुलिस क्या करे? पुलिस वालों के भी मौलिक अधिकार होते हैं। पुलिस वालों का भी मनोबल नहीं टूटना चाहिए।” इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि राज्य में कानून का शासन मजबूत किया जाये तो पुलिस बल का मनोबल कभी कमजोर नहीं पड़ेगा। साल्वे ने आगे कहा कि सरकार को न्यायालय के आदेशानुसार आयोग पुनर्गठित करने का आदेश दिया जाना चाहिए। इसके बाद न्यायालय ने राज्य सरकार को जांच आयोग में शीर्ष अदालत के सेवानिवृत्त न्यायाधीश और एक सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी को जोड़ने का आदेश दिया और कहा कि वह मसौदे पर बुधवार को आदेश सुनाएगा।