हिंदू धर्म में विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi) का त्योहार भगवान गणेश को समर्पित होता है। हर माह की कृष्ण चतुर्थी और शुक्ल पक्ष में भगवान गणेश की विशेष पूजा की परंपरा है। साथ ही इस दिन उनके निमित्त व्रत भी रखा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से साधक को सभी प्रकार की समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है। गणपति बप्पा भी इससे प्रसन्न होते हैं। आइए, जानते हैं कि अप्रैल में पड़ने वाली विनायक चतुर्थी के शुभ मुहूर्त और पूजा विधि क्या है।
विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi) का शुभ मुहूर्त
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि का आरंभ 11 अप्रैल को दोपहर 3.03 बजे से हो रहा है। इसका समापन 12 अप्रैल को दोपहर 1 बजकर 11 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, 12 अप्रैल को विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi) मनाई जाएगी।
विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi) पूजा विधि
– विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi) के दिन सूर्योदय से पहले उठकर, देवी-देवताओं का ध्यान करके अपने दिन की शुरुआत करें।
– इसके बाद स्नान कर साफ कपड़े पहन लें।
– गंगाजल छिड़ककर मंदिर को अच्छी तरह शुद्ध कर लें।
– अब एक चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर गणपति बप्पा की मूर्ति या तस्वीर रखें।
– फिर उन्हें फूल और सिंदूर अर्पित करें।
– इसके बाद दीपक जलाएं और आरती करें।
– पूजा के दौरान मंत्र जाप और गणेश चालीसा का पाठ करें।
– भोग चढ़ाने के बाद लोगों में बांट दें।
इस मंत्र का करें जाप
विघ्न नाशक मंत्र
गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः ।
द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः ॥
विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः ।
द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत् ॥
विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत् क्वचित् ।