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विनायक चतुर्थी आज, यहां जानें शुभ मुहूर्त पूजा विधि से लेकर व्रत पारण तक सबकुछ

Vinayaka Chaturthi

Ganesh

हिंदू धर्म में विनायक चतुर्थी (Vinayaka Chaturthi) एक अत्यंत महत्वपूर्ण और शुभ तिथि है, जो हर महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाई जाती है। यह दिन भगवान गणेश को समर्पित है, जिन्हें प्रथम पूज्य और विघ्नहर्ता माना जाता है। विनायक चतुर्थी का व्रत रखने और इस दिन भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा करने लोगों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और घर में सुख-समृद्धि का वास बना रहता है। इसके अलावा जीवन में आने वाली परेशानियों से छुटकारा मिलता है। आषाढ़ मास की विनायक चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा करने से बुद्धि, समृद्धि और सभी कार्यों में सफलता मिलती है।

पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 28 जून दिन शनिवार को सुबह 07 बजकर 17 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन 29 जून दिन रविवार को सुबह 06 बजकर 56 मिनट पर समाप्त होगी। विनायक चतुर्थी (Vinayaka Chaturthi) पर गणेश जी की पूजा मध्याह्न (दोपहर) काल में करना शुभ माना जाता है। इसलिए दिन के 11 बजकर 25 मिनट से दोपहर 01 बजकर 56 मिनट तक का शुभ मुहूर्त बप्पा की पूजा के लिए शुभ रहेगा।

विनायक चतुर्थी (Vinayaka Chaturthi) पूजा विधि

– विनायक चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
– पूजा स्थल को साफ करें और गणेश जी का स्मरण करते हुए हाथ में जल और अक्षत लेकर व्रत का संकल्प लें।
– मन में कहें कि ‘मैं भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए यह विनायक चतुर्थी का व्रत कर रहा/रही हूं।’
– एक चौकी पर लाल या पीले रंग का वस्त्र बिछाएं और भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
– यदि मूर्ति छोटी हो, तो उसे जल में गंगाजल मिलाकर स्नान कराएं।
– गणेश जी के साथ रिद्धि-सिद्धि और शुभ-लाभ की भी स्थापना करें।
– ‘ॐ गं गणपतये नमः’ या ‘वक्रतुंड महाकाय’ मंत्र का जाप करते हुए भगवान गणेश का आह्वान करें।
– यदि मूर्ति हो, तो पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल) से अभिषेक करें। उसके बाद शुद्ध जल से स्नान कराएं।
– भगवान को नवीन वस्त्र (पीले या लाल रंग के) पहनाएं और लाल चंदन या कुमकुम का तिलक लगाएं।
– लाल रंग के फूल (जैसे गुड़हल) और 21 दूर्वा (दूब घास) की गांठें अर्पित करें। दूर्वा गणेश जी को अत्यंत प्रिय है।
– धूप-दीप: शुद्ध घी का दीपक और धूप जलाएं।
– गणेश जी को मोदक या लड्डू अति प्रिय हैं, इसलिए इसका भोग अवश्य लगाएं। इसके अलावा, केला, गुड़, नारियल, और मौसमी फल भी चढ़ा सकते हैं।
– अक्षत (साबुत चावल) और सुपारी अर्पित करें और गणेश जी को सिंदूर चढ़ाना भी शुभ माना जाता है।
– पूजा के दौरान गणेश जी के मंत्रों का जाप करें, जैसे: “ॐ गं गणपतये नमः”, “श्री गणेशाय नमः” और वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
– पूजा के अंत में अपनी पूजा में हुई किसी भी भूल-चूक के लिए भगवान से क्षमा याचना करें और अपनी मनोकामनाएं उनके समक्ष रखें।

विनायक चतुर्थी व्रत पारण विधि

विनायक चतुर्थी का व्रत चंद्र दर्शन के बिना नहीं तोड़ा जाता है, लेकिन चतुर्थी पर चंद्रमा के दर्शन वर्जित माने जाते हैं। (क्योंकि इससे कलंक लगने की मान्यता है)। इसलिए, गणेश भक्त इस दिन रात्रि में चंद्रमा के दर्शन से बचते हैं और व्रत का पारण अगले दिन करते हैं। विनायक चतुर्थी की रात को चंद्रमा के दर्शन से बचें। व्रत का पारण अगले दिन (29 जून, रविवार) सूर्योदय के बाद और चतुर्थी तिथि के समाप्त होने से पहले करें। सुबह स्नान करके गणेश जी की पूजा करें। ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को भोजन कराएं या दान दें। इसके बाद, स्वयं सात्विक भोजन (बिना प्याज-लहसुन का) ग्रहण करके व्रत खोलें।

विनायक चतुर्थी (Vinayaka Chaturthi) का महत्व

भगवान गणेश को विघ्नहर्ता माना जाता है। इस दिन व्रत और पूजा करने से सभी बाधाएं दूर होती हैं और कार्यों में सफलता मिलती है। गणेश जी बुद्धि और ज्ञान के दाता हैं। इस दिन पूजा करने से बुद्धि तेज होती है और शिक्षा में सफलता मिलती है। यह व्रत घर में सुख-समृद्धि लाता है और धन-धान्य की वृद्धि करता है। सच्चे मन से यह व्रत करने पर सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यह व्रत भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त करने और जीवन में शुभता लाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।

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