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बजरंग पूनीया के बाद विनेश फोगाट ने भी वापस किया अर्जुन अवार्ड, कर्तव्य पथ पर छोड़ा मेडल

Vinesh Phogat

Vinesh Phogat

नई दिल्ली। कुश्ती की दुनिया में जारी ‘दंगल’ थमने का नाम नहीं ले रहा है। रेसलर बजरंग पूनिया के बाद आज महिला पहलवान विनेश फोगाट (Vinesh Phogat ) ने भी अपना सम्मान वापस कर दिया है। जब वह सम्मान वापस करने PMO जा रही थीं, इसी दौरान पुलिस ने विनेश को कर्तव्यपथ पर रोक लिया। लिहाजा विनेश ने अपना अर्जुन अवॉर्ड पुरस्कार कर्तव्य पथ बैरिकेड्स पर छोड़ दिया। विनेश से पहले बजरंग पूनिया ने अपना पद्मश्री अवॉर्ड वापस कर दिया था।

अवॉर्ड वापस करने से पहले विनेश फोगाट (Vinesh Phogat ) ने कहा कि यह दिन किसी खिलाड़ी के जीवन में न आए। देश की महिला पहलवान सबसे बुरे दौर से गुज़र रही हैं।

22 दिसंबर को बजरंग पूनिया ने अपना पद्मश्री अवॉर्ड लौटा दिया था। बजरंग पूनिया ने अपना पद्मश्री साक्षी मलिक के संन्यास के ऐलान के बाद लौटाया था।

दरअसल, रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (WFI) के चुनाव में बृजभूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह ‘बबलू’ ने जीत हासिल की थी। इसे लेकर विनेश फोगाट, बजरंग पूनिया और साक्षी मलिक समेत कई रेसलर नाराज हैं। ये रेसलर्स काफी समय से बृज भूषण के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। इन सभी की मांग की थी कि रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष पद पर किसी महिला को होना चाहिए।

हालांकि संजय सिंह के नेतृत्व में भारतीय कुश्ती महासंघ की नव निर्वाचित कार्यकारिणी को खेल मंत्रालय ने निलंबित कर दिया था। मंत्रालय ने अपने फैसले में कहा था कि डब्ल्यूएफआई ने मौजूदा नियमों के प्रति पूरी तरह से उपेक्षा दिखाई है। आधिकारिक विज्ञप्ति में खेल मंत्रालय ने कहा था कि राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं की घोषणा जल्दबाजी में की गई और उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।

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खेल मंत्रालय ने हवाला दिया कि कुश्ती संघ के नवनिर्वाचित अध्यक्ष संजय कुमार सिंह ने 21 दिसंबर को घोषणा की कि जूनियर राष्ट्रीय प्रतियोगिताएं इस साल के अंत से पहले शुरू होंगी। मंत्रालय ने विस्तार से बताया कि यह नियमों के खिलाफ है- प्रतियोगिता की घोषणा से पहले कम से कम 15 दिन के नोटिस की जरूरत होती है ताकि पहलवान तैयारी कर सकें। यह फैसला अकेले अध्यक्ष नहीं करता बल्कि कुश्ती संघ की एग्जीक्यूटिक ​कमिटी करती है, जिसके लिए एक तिहाई सदस्यों की सहमति जरूरी होती है। यहां तक ​​कि एग्जीक्यूटिव कमिटी की आपातकालीन बैठक के लिए भी 1/3 प्रतिनिधियों की सहमति और न्यूनतम 7 दिन की नोटिस अवधि की आवश्यकता होती है।

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