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सेना-अर्धसैनिक बल के बीच संघर्ष, अब तक 180 लोगों की मौत

Violence

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खार्तूम। सूडान पर कब्जे के लिए सेना (Army) और अर्धसैनिक बल रैपिड सपोर्ट फोर्स (RSF) के बीच जारी हिंसा (Violence) ने भयावह रूप ले लिया है। इस हिंसा में 180 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। 1800 से अधिक लोग घायल हैं। उपद्रवियों ने यूरोपीय संघ के राजदूत पर हमला किया है। आम आदमी की परेशानी बढ़ गई है। 50 लाख से अधिक लोग बिजली-पानी के संकट से जूझ रहे हैं। जगह-जगह हो रही आगजनी से आकाश पर धुएं की परत छा गई है।

सूडान में 2021 में तख्ता पलट के बाद सेना ने सत्ता संभाली थी। तब से सेना व देश में अर्धसैनिक बल के रूप में मान्य रैपिड सपोर्ट फोर्स के बीच सत्ता को लेकर संघर्ष (Violence) चल रहा है। कुछ दिनों में यह संघर्ष जानलेवा हो चुका है। इस बीच, सूडान में जारी हिंसा रुकवाने के लिए अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने पहल की है।

अमेरिका के विदेश विभाग के प्रमुख उप प्रवक्ता वेदांत पटेल ने बताया कि अमेरिकी विदेश मंत्री ने सूडानी सशस्त्र बलों के कमांडर जनरल अब्देल फतह अल बुरहान और रैपिड सपोर्ट फोर्स के कमांडर जनरल मोहम्मद हमदान डागालो से बात कर उनसे युद्धविराम का आह्वान किया है।

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ब्लिंगन ने हिंसा में आम लोगों की जा रही जान पर चिंता व्यक्त की। साथ ही प्रभावित लोगों के लिए मानवीय सहायता भेजने की अनुमति मांगी है। साथ ही सूडानी परिवारों के पुनर्मिलन पर भी चर्चा की। ब्लिंकन ने दोनों कमांडरों से खार्तूम में अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह सुनिश्चित करने को कहा कि वे सभी लोग सुरक्षित हैं।

इस समय सूडान की सड़कों पर उपद्रवी घूम-घूम कर लोगों को निशाना बना रहे हैं। यूरोपीय संघ के राजदूत ऐडन ओ हारा पर हमला किया गया है। यह जानकारी आयरलैंड के विदेश मंत्री माइकल मार्टिन ने दी है। उन्होंने कहा कि खार्तूम में ऐडन ओ हारा के घर पर धावा बोलकर हमला किया गया है। उन्होंने इसे राजनयिकों की सुरक्षा के दायित्व का घोर उल्लंघन बताया।

सूडान में संयुक्त राष्ट्र महासचिव के विशेष प्रतिनिधि वोल्कर पर्थेस ने बताया कि इस संघर्ष में अब तक 180 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। साथ ही 1800 से अधिक नागरिक और लड़ाके घायल हुए हैं। आम नागरिकों को परेशान करने के लिए बिजली व पानी की आपूर्ति बंद कर दी गई है। इस कारण खार्तूम के 50 लाख से अधिक लोग बिजली और पानी के लिए परेशान हैं। उपद्रवियों ने जगह-जगह आगजनी की है। लोगों की चीख-पुकार सुनकर भी मदद नहीं की जा रही।

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