उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद में वायरल फीवर और डेंगू से हालात बिगड़ते जा रहे हैं। कोरोना को ध्यान में रखकर बनाया गया 100 बेड का अस्पताल फुल हो चुका है। यहां 267 मरीज भर्ती हैं, जिनमें बड़ी संख्या में बच्चे भी शामिल हैं। बेड फुल होने से मरीज या तो जमीन पर लेटने को मजबूर हैं या एक बेड पर दो मरीज लेटे हुए हैं।
मरीजों के परिजनों का कहना है कि न तो समय पर ब्लड मिल रहा है और न ही इलाज। अस्पताल में भी जगह नहीं है, इसलिए अब दूसरे जिलों में लोग जा रहे हैं।
आगरा डिविजन के एडिशनल डायरेक्टर (हेल्थ) डॉ. एके सिंह ने बताया कि बुखार का कारण जानने के लिए कुछ ब्लड सैंपल भेजे गए थे और एलाइसा का टेस्ट भी किया गया था, जिसमें डेंगू, स्क्रबटायफस, लेप्टो स्पायरोसिस बीमारी के होने की पुष्टि हुई है। ये ज्यादातर गंदे पानी में वायरस और मच्छर के पनपने के कारण होती है।
वहीं, मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. संगीता अनेजा कहती हैं कि उन्होंने 27 सैंपल का एलाइसा टेस्ट कराया था, जिसमें से 22 की रिपोर्ट डेंगू पॉजिटिव आई है और 5 की नेगेटिव आई है। इससे ये माना जा सकता है कि इस समय फिरोजाबाद में ज्यादातर बच्चों को डेंगू ही हुआ है।
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को फिरोजाबाद में मेडिकल कॉलेज का दौरा किया था। इसके बाद उन्होंने कहा था कि इससे 32 बच्चों समेत 39 की मौत हुई है। वहीं, मंगलवार को बीजेपी विधायक मनीष असीजा ने 52 मौतें होने का दावा किया है। जबकि, बुधवार को डॉ. एके सिंह ने मृतकों की संख्या 41 बताई है।
स्वास्थ्य महकमे का कहना है कि उनके पास उन्हीं मौतों का आंकड़ा है जो मेडिकल कॉलेज या आगरा मेडिकल कॉलेज में होती हैं। प्राइवेट अस्पताल या घरों पर इलाज करा रहे लोगों की मौत का आंकड़ा उनके पास नहीं है।
डेंगू और वायरल बुखार में प्लेटलेट्स भी अचानक तेजी से कम होते हैं, जिस कारण मरीज को तुरंत ही ब्लड की जरूरत होती है. लेकिन सरकारी ब्लड बैंक में ब्लड की बहुत कमी है। जिस कारण अब समाज सेवी संस्थाएं भी रक्तदान में जुट गई हैं। रेड क्रॉस सोसाइटी के सहयोग से फिरोजाबाद क्लब में एक रक्तदान शिविर लगाया गया था, जिसमें 225 युवाओं ने रक्तदान किया था।