अखंड सौभाग्य और सुयोग्य वर की कामना के लिए किया जाने वाला हरतालिका तीज व्रत आज यानि 9 सितंबर को है। इस दिन विवाहित महिलाएं और कुंवारी कन्याएं व्रत रखती हैं और भगवान शिव तथा माता पार्वती की विशेष पूजा करती हैं। यदि कोई कुंवारी कन्या इस वर्ष पहली बार हरतालिका तीज का व्रत कर रही है, तो उसे इसकी पूरी विधि के बारे में जानकारी होनी चाहिए। आज हम कुंवारी कन्याओं के लिए हरतालिका तीज व्रत की विधि और महत्व के बारे में बता रहे हैं।
माता पार्वती ने भगवान शिव को पति स्वरुप में पाने के लिए कठोर तप किया था। इसके लिए उन्होंने अपने हाथों से स्वयं शिवलिंग बनाया और उसकी विधि विधान से पूजा की। इसके फलस्वरूप भगवान शिव उनको पति स्वरुप में प्राप्त हुए। कुंवारी कन्याएं सुयोग्य वर की अभिलाषा से हरतालिका तीज का व्रत करती हैं ताकि उनको भी माता पार्वती की तरह ही मनचाहा वर प्राप्त हो सके।
हरतालिका तीज: निर्जला एवं फलहारी
हरतालिका तीज व्रत को सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना जाता है। यह बेहद ही कठिन व्रत होता है। इसे दो प्रकार से किया जाता है। एक निर्जला और दूसरा फलहारी। निर्जला व्रत में पानी नहीं पीते हैं और न ही अन्न या फल ग्रहण करते हैं, वहीं फलाहारी व्रत रखने वाले लोग व्रत के दौरान जल पी सकते हैं और फल का सेवन करते हैं। जो कन्याएं निर्जला व्रत नहीं कर सकती हैं तो उनको फलाहारी व्रत करना चाहिए।
हरितालिका पूजा मुहूर्त:
हरतालिका तीज व्रत पूजा प्रात:काल या प्रदोषकाल दो समय पर करनी अच्छी कही जाती है। 9 सितंबर को तीज पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 06:03 एम से प्रारंभ होकर 8:33 एम तक रहेगा।
अगर आप शाम के टाइम पूजा करना चाहते हैं तो पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6:33 पीएम से 8:51 पीएम तक रहेगा। तृतीया तिथि का प्रारंभ 9 सितंबर को 2:33 एम से होगी और इसका खात्म 10 सितंबर को 12:18 एम पर होगी।
हरतालिका तीज पूजा विधि
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि यानी 21 अगस्त के प्रात:काल स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें। उसके बाद पूजा स्थान की सफाई करें। अब हाथ में जल और पुष्प लेकर हरतालिका तीज व्रत का संकल्प करें। इसके पश्चात सुबह या प्रदोष के पूजा मुहूर्त का ध्यान रखकर पूजा करें।