हिंदू धर्म में कई सारे पर्व त्योहार मनाए जाते है लेकिन विश्वकर्मा पूजा (Vishwakarma Puja ) का अपना खास महत्व होता है जो कि हर साल 17 सितंबर को मनाया जाता है। इसे विश्वकर्मा जयंती के नाम से भी जाना जाता है इस दिन सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा जी के सातवें पुत्र भगवान विश्वकर्मा का जन्म हुआ था। भगवान विश्वकर्मा को दुनिया के पहले शिल्पकार, वास्तुकार और इंजीनियर भी कहा जाता है।
मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा की पूजा (Vishwakarma Puja ) अर्चना अगर श्रद्धा और विश्वास के साथ की जाए तो प्रभु की अपार कृपा प्राप्त होती है और कष्टों में कमी आती है। किसी भी कार्य के निर्माण व सृजन से जुड़े लोग भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते है तो ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा विश्वकर्मा पूजा से जुड़ी अन्य जानकारी से आपको अवगत करा रहे हैं तो आइए जानते है।
विश्वकर्मा पूजा (Vishwakarma Puja ) की तिथि और मुहूर्त
धार्मिक पंचांग के अनुसार विश्वकर्मा जयंती (Vishwakarma Puja ) 17 सितंबर को मनाई जाएगी। वैसे तो देवशिल्पी भगवान विश्वकर्मा की पूजा दिन भर की जाएगी लेकिन इनकी पूजा के लिए सबसे उत्तम मुहूर्त 17 सितंबर की सुबह 10 बजकर 15 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 26 मिनट तक का रहेगा।
मान्यता है कि इस शुभ मुहूर्त में अगर विश्वकर्मा भगवान की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाए तो साधक को अपने सभी कार्यों में सफलता मिलती है और बाधाएं दूर हो जाती है।
विश्वकर्मा जयंती के दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा (Vishwakarma Puja ) करने से साधकों की सभी इच्छाएं पूरी हो जाती है साथ ही कारोबार और व्यापार में भी खूब उन्नति मिलती है इनकी पूजा जातक में इन शक्ति का संचार करती है साथ ही निर्माण कार्यों में आने वाली रुकावटों को भी दूर कर देती है।