अफगानिस्तान के हालात पर ‘काबुल एक्सप्रेस’ बना चुके डायरेक्टर कबीर खान ने इन दिनों अपने एक बयान को लेकर चर्चा में हैं। कबीर खान का कहना है कि ‘मुगल असली राष्ट्र निर्माता हैं और उन्हें हत्यारा कहना गलत है। कबीर खान के इस बयान के बाद से ही इंटरनेट पर लंबी बहस शुरू हो गई है।
सोशल मीडिया पर यूजर्स उन्हें इस बयान के लिए बुरी तरह ट्रोल कर रहे हैं। इसी बीच मशहूर फिल्म निर्माता विवेक रंजन अग्निहोत्री कबीर खान पर निशाना साधा।
विवेक ने अपनी पोस्ट में लिखा-‘पापा गूगल, मुगल के बनाए राष्ट्र को क्यों नहीं ढूंढ पाता है? इस पर पिता जवाब देते हैं-बेटा क्योंकि वह सारे देश भारतीय मंदिरों के अंदर छिपे हुए हैं।’ विवेक के पोस्ट शेयर करते ही इंटरनेट यूजर्स इस पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं।
मुगल थे असली राष्ट्र-निर्माता, कबीर खान के बयान ने मचाया बवाल
इसके अलावा विवेक अग्निहोत्री ने एक ट्वीट कर लिखा- ‘मुगलों ने सिर्फ लोगों का सिर कलम करने और मंदिरों को नष्ट करने का काम किया है। लेकिन उन्होंने कभी ट्विटर पर लोगों को गाली नहीं दी। विवेक ने कहा कि कम से कम वे फासीवादी संघियों की तरह ट्रोल तो नहीं हुए। उन्हें बहुत दुख होता है जब बॉलीवुड फिल्मों में इस तथ्य को नहीं दिखाया जाता है। विवेक अग्निहोत्री के ये ट्वीट सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहे हैं। फैंस उनके इन ट्वीट्स पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं।
क्या था कबीर खान का बयान
कबीर खान ने कहा था- ‘यदि आप फिल्मों में मुगलों को गलत दिखाना भी चाहते हैं तो प्लीज इसके लिए पहले रिसर्च कीजिए और किसी पुख्ता आधार पर ही ऐसा दिखाइए। हमें यह भरोसा दिलाइए कि यह सच क्यों है? बताइए कि जैसा आप सोच रहे हैं असल में वो विलन क्यों हैं। यदि आप इतिहास पढ़ेंगे तो आपके लिए यह समझना मुश्किल होगा कि आखिर उन्हें विलन क्यों बनाया जा रहा है।
मुझे लगता है कि वो असली राष्ट्र-निर्माता थे और सिर्फ कहने के लिए या लिखने के लिए यह बता देना कि नहीं… नहीं…वो तो हत्यारे थे उन्होंने लोगों का धर्म परिवर्तन करवाया, उन्होंने ये किया, उन्होंने वो किया। आप किस आधार पर यह बात कर रहे हैं? प्लीज, कोई ऐतिहासिक सबूत दिखाइए, प्लीज इस पर खुली बहस कीजिए।’
लॉर्ड्स में इंग्लैंड के फैंस ने सिराज से पूछा- स्कोर क्या हुआ है? प्लेयर ने दिया करारा जवाब
एतिहासिक फिल्मों में मुगलों के चित्रण पर नारागजी जाहिर करते हुए कहा- ‘बस जो कहा जा रहा है, जो लोकप्रिय है, उसी विचार के साथ आगे मत बढ़िए। आज के वक्त में यह सबसे आसान काम है, है ना? भारत के इतिहास में अलग-अलग मौकों पर मुगलों और दूसरे अनेक मुस्लिम शासकों को गलत तरीके से दिखाना, उन्हें पूर्वाग्रहों से भरे रूढ़ियों में फिट करने की कोशिश करना दुखद है। मैं ऐसी फिल्मों का सम्मान नहीं कर सकता। हालांकि दुर्भाग्य से यह मेरी अपनी सोच है। बेशक, मैं बड़े दर्शक वर्ग के लिए नहीं बोल सकता। लेकिन मैं निश्चित रूप से उनकी इस तरह की इमेज दिखाने से परेशान हो जाता हूं।’