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Vodafone फैसले को भारत ने दी चुनौती, सिंगापुर की अदालत में होगी सुनवाई

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वोडाफ़ोन

नई दिल्‍ली। भारत सरकार ने वोडाफोन ग्रुप पीएलसी पर 2 अरब डॉलर के टैक्‍स दावे पर एक अंतरराष्‍ट्रीय मध्‍यस्‍तता अदालत द्वारा सुनाए गए अपने खिलाफ आदेश को सिंगापुर की एक अदालत में चुनौती दी है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने एक वरिष्‍ठ सरकारी अधिकारी के हवाले से यह खबर दी है। भारत सरकार की तरफ से इस मामले की पैरवी एडिशनल सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा कर रहे हैं। उन्होंने नवंबर में दिल्ली हाईकोर्ट से कहा था कि कैबिनेट की एम्पावर्ड कमिटी अभी मुलाकात करने वाली है और उसके बाद यह फैसला लिया जाएगा कि इस मामले को चुनौती दी जाएगी या नहीं।

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वोडाफोन की तरफ से हरीश साल्वे यह केस लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि टेलीकॉम कंपनी ने कहा कि जब तक इंडिया-नीदरलैंड्स बिपा का फैसला रद्द नहीं होता तब तक वह इंडिया-यूके बाइलैटरल इनवेस्टमेंट प्रमोशन एंड प्रोटेक्शन एग्रीमेंट (BIPA) के तहत दूसरा केस नहीं करेगी। 25 सितंबर को नीदरलैंड के हॉग के परमानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन ने वोडाफोन के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा था कि भारत सरकार जो टैक्स की मांग कर रही है वह देश के इंटरनेशनल लॉ ऑब्लिगेशन के खिलाफ है। इससे पहले सितंबर 2020 में वोडाफोन ने इनकम टैक्स विभाग के खिलाफ 22,000 करोड़ रुपये का रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स का केस जीत लिया था।

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वोडाफोन ने 2007 में हॉन्गकॉन्ग के हचिसन ग्रुप के मालिक हचिसन हामपोआ (Hutchison Whampoa) के मोबाइल बिजनेस हचिसन-एस्सार में 67 फीसदी हिस्सेदारी 11 अरब डॉलर में खरीदी थी। वोडाफोन ने यह हिस्सेसदारी नीदरलैंड और केमैन आईलैंड स्थित अपनी कंपनियों के जरिए ली थी। हालांकि इसके बाद सरकार ने फाइनेंस एक्ट 2012 के जरिये रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स लागू कर दिया। यानी सरकार ने 2012 में यह कानून बनाया कि 2007 में वोडाफोन और हचिसन की डील टैक्सेबल होगी। वोडाफोन ने 3 जनवरी 2013 को कहा था कि उससे 14,200 करोड़ रुपये का टैक्स मांगा गया है।

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