चुनाव आयोग देशभर में मतदाता पहचान पत्रों (Voter Card) को आधार (Aadhaar) से जोड़ने में जुटा है। अब तक 46 करोड़ मतदाताओं का वोटर कार्ड आधार से लिंक हो चुका है और बहुत जल्द 50 करोड़ के आंकड़े को पूरा कर लिया जाएगा। चुनाव आयोग का मकसद है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले डुप्लीकेट मतदाताओं से मुक्त मतदाता सूची तैयार कर ली जाए। चुनाव आयोग ने 1 अप्रैल 2023 तक वोटर आईडी कार्ड की आधार से लिंकिंग पूरा करने का लक्ष्य रखा है।
हालांकि मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा ने इस पूरी प्रक्रिया के बारे में मई में कहा था कि मतदाताओं के लिए वोटर कार्ड को आधार से लिंक कराना स्वैच्छिक होगा। बस उन्हें इसकी पर्याप्त वजह बतानी होगी। वहीं चुनाव आयोग के इस ‘भगीरथ प्रयास’ को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट भी जा चुका है।
पता चलेगी असली मतदाताओं की संख्या
चुनाव आयोग का कहना है कि आधार (Aadhaar) और वोटर कार्ड (Voter Card) के लिंक होने के बाद देश में असली मतदाताओं की संख्या का पता चलेगा। इससे किसी चुनाव में मतदान का वास्तविक प्रतिशत और औसत पता चलेगा। इसका उदाहरण देते हुए चुनाव आयोग से जुड़े एक सूत्र ने समझाया कि अगर किसी बूथ पर पांच सौ मतदाता हैं और तीन सौ लोग मतदान करते हैं। ऐसे में अगर सौ मतदाता डुप्लिकेट सूची में हैं, तो वोट प्रतिशत 60 होगा। वहीं डुप्लिकेट मतदाताओं को हटाने के बाद बूथ पर असली मतदाता चार सौ रहेंगे और तीन सौ के गणित के हिसाब से वोट प्रतिशत 75 हो जाएगा।
डुप्लिकेट वोटर्स
सूत्र ने बताया कि देश में अभी लाखों मतदाता ऐसे हैं, जिनके नाम एक से ज्यादा जगहों की मतदाता सूची में दर्ज हैं। लोग पैतृक गांव, महानगर और उपनगर में स्थित पते पर मतदाता पहचान पत्र बनवा कर वोट दे रहे हैं। इनमें से कई जहां अलग-अलग राज्यों में हैं, तो कुछ मामलों में ये एक ही जिले या क्षेत्र के हैं, जहां एक ही चरण में मतदान होता है। ऐसे में ये वोटर्स कई उम्मीदवारों का खेल बनाते-बिगाड़ते हैं।
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सूत्र का कहना है कि उत्तर भारत में एक से ज्यादा मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने वाला ट्रेंड ज्यादा है। उत्तर प्रदेश, बंगाल, बिहार, उत्तराखंड और झारखंड जैसे राज्यों एवं दिल्ली-एनसीआर, मुंबई और कोलकाता जैसे महानगरों में प्रवासी मतदाताओं की संख्या लाखों में है। इन राज्यों के लोग राजनीतिक तौर पर अत्यधिक संवेदनशील होने की वजह से स्थानीय राजनीति पर भी पकड़ नहीं छोड़ना चाहते और जहां नौकरी-पेशा कर रहे हैं, वहां पर भी अपने मताधिकार का इस्तेमाल करना चाहते हैं।
एक बार वोटर कार्ड और आधार कार्ड लिंक हो जाएगा, तो उसके बाद चुनाव आयोग अंतरराज्यीय स्तर पर भी मतदाता सूची का मिलान करेगा। चुनाव आयोग का लक्ष्य 2024 का लोकसभा चुनाव नई सूची के आधार पर कराना है।