नई दिल्ली: बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं पर कांग्रेस ने अपने दोनों बिहारी बाबुओं को घर बैठा रखा है। एक हैं पूर्व सांसद कीर्ति आजाद और दूसरे हैं पूर्व सांसद महाबल मिश्रा। पूर्वांचलियों में दोनों की अच्छी पकड़ है। पार्टी के बुलावे का इंतजार भी कर रहे हैं। बावजूद इसके एक को पार्टी ने छह माह से निलंबन का पत्र थमाया हुआ है तो दूसरे को बिना निलंबन के ही जिम्मेदारियों से मुक्त कर रखा है। ऐसे समय में जबकि कांग्रेस लगातार अपना जनाधार खो रही है और बडे़ नेता भी पार्टी से मुंह मोड़ने में लगे हैं
एक देश-एक राशनकार्ड योजना का कार्यान्वयन प्राथमिकताओं में : केंद्र सरकार15 साल तक दिल्ली की सत्ता पर काबिज रही कांग्रेस की हालत आज लगातार दयनीय होती जा रही है। फरवरी के विधानसभा चुनाव में दिल्ली की जनता ने सिरे से नकार दिया तो नेतृत्व परिवर्तन के बाद सत्ता के गलियारों में भी पार्टी को कोई तवज्जो नहीं दी जाती।
कोरोना महामारी के कारण ई-फार्मेसी पर दवाईयों पर मिलेगी भारी छूट
राजनिवास और मुख्यमंत्री कार्यालय में भी मिलने का समय देना तो बहुत दूर की बात है, प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी के पत्रों को अमूमन रददी की टोकरी में डाल दिया जाता है। ऐसे में बीते सप्ताह सफाई कर्मियों की मांगों को लेकर अध्यक्ष और उपाध्यक्ष अन्य कांग्रेसियों को साथ लेकर मुख्यमंत्री से मिलने सीधे सचिवालय की ओर बढ़ चले। लेकिन समय का चक्र देखिए, जिस सचिवालय के दरवाजे सभी के लिए खुले रहते हैं, कांग्रेसियों के लिए बंद कर दिए गए।