न्यूयॉर्क। टाइटैनिक जहाज के बारे में तो आपने कई बार सुना होगा। दुनिया के सबसे बड़े टाइटैनिक जहाज को डूबे हुए 108 साल बीत चुके हैं। इस जहाज के मलबे का भी पता चल चुका है, लेकिन इसे अब तक समुद्र से नहीं निकाला गया है। क्या आप इसके पीछे का कारण जानते हैं? नहीं ना… तो चलिए हम आपको इसका कारण बताते हैं।
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10 अप्रैल 1912 को टाइटैनिक जहाज अपनी पहली यात्रा पर ब्रिटेन के साउथैम्पटन बंदरगाह से न्यूयॉर्क के लिए निकला था। लेकिन 14 अप्रैल 1912 को उत्तर अटलांटिक महासागर में एक हिमखंड से टकराकर जहाज दो टुकड़ों में टूट गया था और फिर इसका मलबा 3.8 किलोमीटर की समुद्र की गहराई में समा गया था। इस हादसे में करीब 1500 लोगों की मौत हो गई थी। यह उस समय की सबसे बड़ी घटनाओं में से एक है।
घटना के करीब 70 साल बाद तक जहाज का मलबा समुद्र के अंदर ही पड़ा रहा था। पहली बार खोजकर्ता रॉबर्ट बलार्ड और उनकी टीम ने साल 1985 में टाइटैनिक के मलबे को अटलांटिक महासागर में खोजा था। जिस जगह पर जहाज डूबा था, वहां बिलकुल अंधेरा है और समुद्र की गहराई में तापमान एक डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। इतनी गहराई तक किसी इंसान का जाना और वापस सुरक्षित लौट आना बेहद मुश्किल काम है। ऐसे में इतने बड़े और भारी जहाज का मलबा लगभग चार किलोमीटर की गहराई में जाकर लाना लगभग नामुमकिन ही है।
Metal-munching bacteria devouring #Titanic’s remains & turning wreck to dust
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कुछ महीनों पहले ही ट्राइटन नाम की एक पनडुब्बी ने समुद्र में टाइटेनिक जहाज का मलबा खोजा है। इसका वीडियो भी सामने आया था जिसमे देखा गया कि कुछ सालों पहले तक जहाज के जो हिस्से ठीक थे अब वह नमक लगकर गलने लगे हैं। यानी कि मलबा धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है।
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ऐसे में कहा जा रहा है कि अब टाइटैनिक का मलबा ज्यादा समय तक टिक भी नहीं पाएगा, क्योंकि वो बड़ी तेजी से गल रहा है। जानकारों का कहना है कि, टाइटैनिक जहाज का मलबा 20 से 30 सालों में पूरी तरह से गल जाएगा और पानी में विलीन हो जाएगा।