राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केन्द्र सरकार पर किसानों की बात नहीं सुनने का आरोप लगाते हुए कहा है कि देश में किसानों की सुनी जाती तो आज यह स्थिति नहीं बनती।
श्री गहलोत ने आज उनकी सरकार के दो वर्ष पूरे होने के अवसर पर ऑनलाइन आयोजित विकास कार्यों के लोकार्पण एवं शिलान्यास कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि आज किसान के मान सम्मान का सवाल हो गया हैं और केन्द्र सरकार को आज सारे काम छोड़कर कृषि कानून का निर्णय वापस लेती तो बड़पन्न दिखता। लोकतंत्र है, उनको क्या दिक्कत आ रही है।
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उन्होंने कहा कि अजीब स्थिति हैं कि केन्द्र सरकार ने वैश्विक महामारी कोरोना में ही कृषि कानून पास करा लिये। संसद में बिना बहस एवं किसानों को बिना विश्वास में लिए ही कानून बना लिया गया। भगुत रहे हैं। स्थिति नाजूक बनी हुई हैं। सोचना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि सोच गलत हैं।
उन्होंने कहा कि किसानों के मुद्दे पर पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिन्द्र सिंह को राष्ट्रपति ने मिलने का समय नहीं दिया। इसी तरह छत्तीसगढ़ एवं अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी समय नहीं मिला। उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार को किसानों की चिंता हैं और उसने तीन कानून पास किये लेकिन राज्यपाल के पास अटके पड़े हैं। पास किये गये कानून राष्ट्रपति के पास जाते, किसानों को लगता कि सरकार किसानों की सुन रही हैं। अगर किसानों की सुनी जाती तो आज इस तरह की स्थिति नहीं बनती।
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उन्होंने कहा कि हमारी विचारधारा की लड़ाई हैं, दुश्मनी किसी से नहीं हैं, वे लोग दुश्मनी पालते हैं। उन्होंने कहा कि सभी को साथ लेकर चलना चाहिए। चहुंमुखी विकास हो, भेदभाव नहीं हो।
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाते हुए कहा कि देश में राष्ट्रीय एजेंसियां दबाव में हैं और चुनी हुई सरकार बदलने का काम हो रहा हैं।
उन्होंने राज्य में ईस्टर्न कैनाल प्रोजेक्ट के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपना वायदा पूरा करना चाहिए। उन्होंने बताया कि इस परियोजना से राज्य के तेरह जिलों में पेयजल एवं सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी।