Site icon 24 GhanteOnline | News in Hindi | Latest हिंदी न्यूज़

क्या है फूड कोमा? जादा खाने के बाद क्यों आती है नींद, जानिए पूरी वजह

food coma

food coma

नई दिल्ली। ज्यादा खा लेने के बाद यदि आपको बहुत नींद आती है, तो आप अकेले नहीं है। इस स्थिति को फूड कोमा (food coma) कहते हैं और यह होना सामान्य है। चिकित्सीय भाषा में इसे पोस्टप्रांडियल सोमनोलेंस भी कहा जाता है। फूड कोमा (food coma) में इंसान को बड़ा भोजन करने के बाद नींद और थकान का अनुभव होता है। ज्यादातर लोगों को दोपहर के खाने के बाद इसके लक्षण आते हैं।

सर्दियों के मौसम में दिमाग के लिए बहुत फायदेमंद होता हैं देशी घी

फूड कोमा (food coma) के कॉमन लक्षण हैं..

ऊंघना

थकान

आलस आना

एनर्जी लेवल कम होना

फोकस न कर पाना

वैसे तो इस स्थिति में कोमा(coma) शब्द का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन इसे गंभीर कोमा नहीं समझा जा सकता। इसमें इंसान अपना होश नहीं खोता है। फूड कोमा (food coma) पर अब भी ज्यादा रिसर्च नहीं की गई है। हालांकि इसकी वजहों को लेकर कई थ्योरीज चर्चा में रहती हैं।

अब है देसी घी के सेवन का मौसम, इतने है इसके फायदे

ब्लड सर्कुलेशन में बदलाव: ऐसा माना जाता रहा है कि पेट में ब्लड फ्लो बढ़ने से दिमाग में ब्लड कम पहुंचता है, जिससे फूड कोमा (food coma)  हो सकता है। पर इस थ्योरी को वैज्ञानिकों ने चैलेंज किया है। उनका कहना है कि यदि दिमाग भारी एक्सरसाइज के वक्त पूरे शरीर में एक समान ब्लड फ्लो मेंटेन कर सकता है, तो खाने की प्रक्रिया में ऐसा कोई बदलाव होना मुमकिन नहीं है।

ज्यादा भोजन करने से फूड कोमा(food coma) : ज्यादातर लोग भारी-भरकम खाने के बाद ही फूड कोमा की शिकायत करते हैं। कई शोधों में पाया गया है कि जो लोग ओवरईटिंग करते हैं, उन्हें खाने के बाद ज्यादा नींद आती है।

कार्बोहाइड्रेट, फैट, प्रोटीन की ज्यादा मात्रा: ये न्यूट्रीएंट्स नींद को ट्रिगर करते हैं। उदाहरण के लिए, कार्बोहाइड्रेट ब्लड में अमीनो एसिड ट्रिपटोफिन की मात्रा बढ़ाता है, जिससे स्लीप हॉरमोन सेराटोनिन की मात्रा बढ़ जाती है। प्रोटीन युक्त फूड्स में भी ट्रिपटोफिन ज्यादा होता है। फैट से कोलेसिस्टोकिनिन हॉरमोन की मात्रा बढ़ती है, जिससे नींद आने की भावना का अनुभव हो सकता है।

शरीर की नेचुरल रिदम: हमारी बॉडी क्लॉक 24 घंटे की होती है। रिसर्च के अनुसार, रात में सोने के फेज के साथ ही दोपहर में भी सोने का एक छोटा फेज होता है। दोपहर 2 से 4 बजे के बीच के इस फेज में लोगों के वर्क परफॉर्मेंस पर बुरा असर पड़ता है और ज्यादा रोड एक्सीडेंट्स होते हैं।

 

इवोल्यूशन: फूड कोमा (food coma) नेमाटोड्स (सूत्रकृमि) जैसे छोटे जीव में भी पाया गया है। इसका मतलब, हो सकता है कि इवोल्यूशन के कारण हमें ज्यादा खाने के बाद नींद आती है। हालांकि इस पर ज्यादा रिसर्च की जरूरत है।

फूड कोमा से होने वाले नुकसान-

फूड कोमा (food coma) आमतौर पर खाने के बाद 4 घंटे तक रहता है। इससे होने वाली थकान और नींद कुछ स्थितियों में रिस्की हो सकती है। उदाहरण- गाड़ी चलते समय या भारी मशीनों को संभालते वक्त।

खाने के बाद नींद आना डायबिटीज की ओर इशारा कर सकता है। इसलिए हमेशा अपना ब्लड शुगर लेवल चेक करते रहें।

फूड कोमा से कैसे बचें?

ओवरईटिंग न करके फूड कोमा (food coma) से बचा जा सकता है।

अपनी डाइट में सभी पोषक तत्वों को शामिल करें। अनहेल्दी खाना फूड कोमा (food coma) की वजह बन सकता है।

शराब के सेवन से बचें। यह आपकी रात की नींद बिगाड़ सकती है, जिससे आपको दोपहर में नींद आने की परेशानी हो सकती है।

खूब पानी पीएं। शरीर को हाइड्रेट रखने से ज्यादा थकान नहीं होती।

रोजाना 7 से 8 घंटे की नींद पूरी करें।

यदि नींद आपके काम में बाधा बन रही है तो आधे घंटे की झपकी लें। इससे आपको फ्रेश महसूस होगा।

Exit mobile version