नई दिल्ली। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव नतीजों में डेमोक्रेट उम्मीदवार जो बाइडेन, रिपब्लिकन उम्मीदवार व मौजूदा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से काफी आगे चल रहे हैं। फैसला आने से पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेटिक पार्टी से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बाइडेन अपनी-अपनी जीत का दावा कर चुके हैं।
एक ओर जहां ट्रंप ने बुधवार को कहा कि वह चुनाव जीत रहे हैं, मगर वोट काउंटिंग में फ्रॉड रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएंगे, तो वहीं बाइडेन ने भी दावा किया है कि वह चुनाव जीत रहे हैं। नतीजों के बाद की कानूनी स्थिति से निपटने के लिए ट्रंप और बाइडेन अपनी-अपनी फौज के साथ तैयार हैं। ट्रंप ने अपने बयानों से जिस तरह के संकेत दिए हैं, उससे अमेरिका में इस बात का भय सता रहा है कि अगर ट्रंप चुनाव हार जाते हैं और वह आसानी से व्हाइट हाउस नहीं छोड़ने वाले हैं।
इसके बाद अब अमेरिका समेत पूरी दुनिया में इस बात की चर्चा होने लगी है कि अगर डोनाल्ड ट्रंप चुनाव हार गए। इसके बाद उन्होंने राष्ट्रपति पद छोड़ने से इनकार कर दिया, तब क्या होगा? हालांकि, यह कहना अभी पूरी तरह से संभव नहीं है कि ऐसी विषम और असामान्य परिस्थिति में कौन अहम रोल प्ले करेगा? मगर अगर कोई शख्स राष्ट्रपति चुनाव हार जाता है और वह व्हाइट हाउस से नहीं निकलता है तो उसे सत्ता से हटाने के लिए नवनिर्वाचित राष्ट्रपति और सीक्रेट सर्विस की भूमिका अहम हो जाती है।
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बिजनेस इनसाइडर के मुताबिक, अगर हारने वाला राष्ट्रपति कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी व्हाइट हाउस पर कब्जा किए रहता है, तो नव-निर्वाचित राष्ट्रपति को संभवतः उस व्यक्ति को परिसर से निकालने के लिए सीक्रेट सर्विस को निर्देश देने की शक्ति होती है। क्योंकि चुनाव के नतीजे आने के बाद कोई भी संघीय एजेंट्स या एजेंसी हारने वाले राष्ट्रपति यानी अपने पुराने अध्यक्ष को रिपोर्ट नहीं करता।
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यहां यह भी ध्यान देने वाली बात है कि अगर राष्ट्रपति हारने के बाद अपने पद से हटने से इनकार करता है तो उसे कानूनी तौर पर हटाने के लिए अमेरिका के संविधान में भी किसी प्रावधान का जिक्र नहीं किया गया है। अंग्रेजी वेबसाइट ‘इंडिपेंडेंट’ के मुताबिक, अमेरिकी संविधान में इस बात का कोई जिक्र नहीं है कि अगर कोई राष्ट्रपति चुनाव हार जाता है और अपने प्रतिद्वंद्वी को सत्ता सौंपने से इनकार कर देता है। तो मौजूदा राष्ट्रपति को कैसे हटाया जाए? ऐसे में ट्रंप के हार मानने से इनकार करने पर हालत भयावह हो सकते हैं।
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फिलहाल, जो बाइडेन वकीलों और संवैधानिक कानून के जानकारों की फौज के साथ डोनाल्ड ट्रंप के लीगल चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हैं। ऐसी परिस्थिति इसलिए बनती दिख रही है, क्योंकि डोनाल्ड ट्रंप ने इमेल के जरिए वोटिंग में धांधली होने का आरोप लगाया है और इसी को आधार बनाते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। डोनाल्ड ट्रंप ने ईमेल या डाक के जरिए मतदान (मेल-इन-बैलेट) पर शक जताया है। अमेरिका में कोरोना संक्रमण के चलते इस बार पोस्टल वोटिंग होगी।
बीते दिनों व्हाइट हाउस में संवाददाताओं के सवाल कि अगर आप हारेंगे तो वे क्या करेंगे पर डोनाल्ड ट्रंप भड़क उठे थे। सत्ता के शांति से विपक्षी पार्टी को सौंपने से उन्होंने एक तरह से इनकार कर दिया था। ट्रंप ने कहा था कि क्या होगा, वो देखा जाएगा। उन्होंने कहा था कि वह लगातार बैलेट को लेकर शिकायत कर रहे हैं और बैलेट्स एक डिजास्टर है। उन्होंने कहा था कि कोई सत्ता का हस्तांतरण नहीं होगा।
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इससे पहले जून में जो बिडेन ने एक टीवी शो में कहा था कि उन्हें यकीन है कि अगर डोनाल्ड ट्रंप चुनाव हार जाते हैं तो अमेरिका के सैन्य नेता ट्रंप को व्हाइट हाउस में नहीं रहने देंगे। हालांकि, बाइडेन के बयान के विपरीत, सेना खुद को चुनावी संघर्ष में शामिल नहीं करेगी। ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के अध्यक्ष जनरल मार्क मिले को एक हाउस क्वेरी के जवाब में उन्होंने इस आशय की प्रतिबद्धता जताई। वह स्पष्ट कर चुके हैं कि चुनाव के बाद विवाद होने की स्थिति में अमेरिकी अदालतों और अमेरिकी कांग्रेस को ही किसी भी विवाद को हल करने की आवश्यकता है न कि अमेरिकी सेना को। उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा था कि हम संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान से मुंह नहीं मोड़ेंगे।
इस तरह से असाधारण स्थिति में राष्ट्रपति पद के विवाद को सुलझाने के लिए फिलहाल कानून का ही विकल्प बचता है। यानी अगर चुनाव के बाद नतीजे आने पर ट्रंप सत्ता से हटने से इनकार करते हैं तो यह मामला अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट में जाएगा।