ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सभी राशि के लोगों की कुंडली में ग्रहों की स्थिति समय-समय पर बदलती रहती है, जिससे कई प्रकार के योग बनते हैं। इनमें कुछ शुभ होते हैं और कुछ अशुभ योग माने जाते हैं। ग्रहों के अशुभ प्रभाव के कारण कुंडली में दोष का भी निर्माण होता है, जिसका नकारात्मक प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर पड़ता है।
इन्हीं अशुभ योग में से एक कालसर्प दोष (Kalsarp Dosh) भी होता है, जिसे बहुत ही विनाशकारी माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार, जिस व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष होता है, उसे आर्थिक, शारीरिक और मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। आइए जानते हैं कि कालसर्प दोष कैसे बनता है, कालसर्प दोष के लक्षण क्या हैं और इसे दूर करने के कुछ उपाय।
कालसर्प दोष (Kalsarp Dosh) कैसे लगता है?
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, राहु और केतु दोनों को मायावी ग्रह माना गया है। जब कुंडली में राहु और केतु के बीच में सारे ग्रह आ जाते हैं, तो कालसर्प दोष (Kalsarp Dosh) बनता है। राहु और केतु को छाया ग्रह माना गया है और अक्सर इनका असर नकारात्मक होता है। कालसर्प दोष से पीड़ित लोगों को जीवन में कई तरह की परेशानियां झेलनी पड़ सकती हैं।
काला सर्प दोष (Kalsarp Dosh) किसके कारण होता है?
– राहु और केतु एक-दूसरे के सामने होते हैं।
– सारे सातों ग्रह राहु-केतु के एक तरफ या बीच में आ जाते हैं।
– कुंडली में राहु और केतु की अशुभ स्थिति होती है।
कालसर्प दोष (Kalsarp Dosh) के लक्षण
– विवाह में देरी
– संतान न होना या संतान के बढ़ने में बाधा
– पारिवारिक कलह
– मानसिक तनाव
– सही निर्णय न ले पाना
– रोजमर्रा की परेशानियां
– नौकरी में दिक्कत
– घटना-दुर्घटनाएं
– गंभीर बीमारी
– पढ़ाई-लिखाई में रुकावट
कालसर्प दोष (Kalsarp Dosh) से बचने के उपाय
ज्योतिष के अनुसार, कालसर्प दोष (Kalsarp Dosh) से पीड़ित लोगों को रोजाना भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। इसके लिए सोमवार और शनिवार के दिन स्नान-ध्यान के बाद गंगाजल में काले तिल मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए। साथ ही, सोमवार और शनिवार के दिन काले तिल का दान करना चाहिए।
वहीं, किसी पंडित की उपस्थिति में कालसर्प दोष का निवारण की पूजा करानी चाहिए। इसके अलावा, रोजाना दो बार हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। वहीं, कालसर्प दोष निवारण यंत्र की पूजा करें।