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जानें कब शुरू हुई थी भाई दूज की प्रथा, पढ़िए यमराज और यमुना की कथा

Bhai Dooj

Bhai Dooj

हर साल भाई दूज (Bhai Dooj) का त्योहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस खास दिन पर बहनें यमराज की पूजा करती हैं, ताकि उनका भाई जीवन में सफल हो और उसकी उम्र लंबी हो। भाई दूज मनाने के पीछे यम और यमुना से जुड़ी एक पौराणिक कहानी है। यह भी माना जाता है कि जो भी भाई इस दिन यमुना नदी में स्नान करके अपनी बहन का आतिथ्य स्वीकार करता है और अपनी बहन से तिलक करवाता है, उसे यम का भय नहीं रहता है। यदि भाई-बहन इस दिन पवित्र नदी यमुना में स्नान करते हैं, तो उन्हें लंबी उम्र का आशीर्वाद मिलता है।

भाई दूज (Bhai Dooj) की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, सूर्यदेव की पत्नी का नाम छाया था। उनके एक पुत्र यमराज और एक पुत्री यमुना थी। यमराज अपनी बहन यमुना से बहुत प्रेम करते थे। यमुना ने बार-बार यमराज को अपने घर आने के लिए कहा, लेकिन काम की अधिकता के कारण वह अपनी बहन से मिलने नहीं जा सके। एक दिन यमुना ने यमराज से यह वादा लिया कि वह कार्तिक मास की शुक्ल द्वितीया तिथि को उनके घर आएंगे। लेकिन यमराज को यमुना के घर जाने में थोड़ी झिझक होने लगी, क्योंकि यम लोगों के प्राणों को हरते हैं, ऐसे में उन्हें कोई अपने घर नहीं बुलाता।

लेकिन अपनी बहन से किए गए वादे के कारण वह यमुना के घर चले जाते हैं। यमुना अपने भाई यम को देखकर बहुत प्रसन्न होती हैं और उनका आतिथ्य सत्कार करती हैं। यमुना ने अपने भाई के लिए अनेक व्यंजन बनाए। अपनी बहन की सेवा भावना देखकर यमराज बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने यमुना से वरदान मांगने को कहा।

यमुना ने उनसे वादा लिया कि वह हर साल इस तिथि यानी कार्तिक माह की शुक्ल द्वितीया को उनके घर भोजन करने आएंगे। यमराज ने भी तथास्तु कहकर उन्हें अनेक उपहार दिए। माना जाता है कि इसी दिन से भाई दूज (Bhai Dooj) की परंपरा शुरू हुई।

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