अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) का दिन नई शुरुआतें करने, दान करने और देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त करने का एक अत्यंत शुभ अवसर माना जाता है। अक्षय तृतीया को ऐसा दिन माना जाता है जब किया गया दान, पुण्य, जप, तप, या कोई शुभ कार्य कभी व्यर्थ नहीं जाता उसका फल ‘अक्षय’ रहता है, यानी कभी समाप्त नहीं होता है। इस दिन की पीछे कुछ पौराणिक मान्यताएं हैं आइए जानते हैं। माना जाता है कि इसी दिन वेद व्यास ने महाभारत लिखना शुरू किया था और गणेश जी ने उसे लिपिबद्ध किया था।
एक और कथा के अनुसार, पांडवों के वनवास के दौरान भगवान कृष्ण ने द्रौपदी को ‘अक्षय पात्र’ प्रदान किया था, जो कभी खाली नहीं होता था और जिससे वे ज़रूरतमंदों को भोजन करा पाते थे। इस दिन ही भगवान विष्णु ने परशुराम रूप में अवतार लिया था। कुछ मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन मां गंगा स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं। यह भी माना जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन ही सतयुग का अंत और त्रेतायुग का आरंभ हुआ था। इसलिए इसे एक नए और शुभ युग की शुरुआत के रूप में देखा जाता है। इस दिन पितरों की किया गया तर्पण, पिंडदान, गंगा स्नान और दान-पुण्य करना अक्षय फल प्रदान करता है।
अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) कब है?
दरअसल, हर साल अक्षय तृतीया वैशाख महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर मनाई जाती है। पंचांग के अनुसार, इस साल वैशाख महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत 29 अप्रैल को शाम 5 बजकर 29 मिनट पर होगी। ये तिथि 30 अप्रैल को दोपहर 2 बजकर 12 मिनट पर खत्म हो जाएगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, 30 अप्रैल 2025 को अक्षय तृतीया मनाई जाएगी।
अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 7 मिनट से दोपहर 12 बजकर 37 मिनट तक रहेगा।
अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) पर क्या करें?
दान-पुण्य
इस दिन दान करना बहुत शुभ माना जाता है। लोग अपनी श्रद्धा और क्षमता के अनुसार अन्न, वस्त्र, जल, सोना आदि दान करते हैं।
सोना खरीदना
इस दिन सोना खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता है, क्योंकि यह अक्षय धन और समृद्धि का प्रतीक है।
नए कार्य की शुरुआत
नया व्यवसाय, गृह प्रवेश या कोई भी शुभ कार्य इस दिन शुरू करना फलदायी होता है।
पित्र तर्पण और पूजा-अर्चना
पितरों का तर्पण करना भी इस दिन महत्वपूर्ण माना जाता है, साथ ही इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करना शुभ माना जाता है।
अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) का महत्व
मान्यता के अनुसार, अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) किसी भी नए काम की शुरुआत, दान-पुण्य और शुभ कार्य करने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन किए गए कार्यों का फल कभी क्षय नहीं होता। शास्त्रों में इसे युगादि तिथि माना गया है, यानी इस दिन सतयुग और त्रेतायुग की शुरुआत हुई थी।। इसलिए इस दिन किसी भी मुहूर्त को देखने की आवश्यकता नहीं होती। इस दिन विशेष रूप से देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है, जिससे घर में सुख-समृद्धि आती है।
मान्यता है कि इसी दिन पृथ्वी पर गंगा का अवतरण हुआ था। उत्तराखंड में स्थित गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिरों के कपाट भी अक्षय तृतीया के दिन खुलते हैं, जिससे चार धाम यात्रा का आरंभ होता है। इसलिए इस दिन को हर शुभ कार्य के लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है।