• About us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Terms & Conditions
  • Contact
24 Ghante Latest Hindi News
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
No Result
View All Result

भारत में कब है आशूरा? जानें मुहर्रम की 10वीं तारीख का ऐतिहासिक महत्व

Writer D by Writer D
08/08/2022
in धर्म, फैशन/शैली
0
Muharram

Muharram

14
SHARES
176
VIEWS
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

मुस्लिम धर्म में रमजान के बाद दूसरा सबसे पवित्र माह मुहर्रम (Muharram) का होता है. मुहर्रम माह से ही इस्लामिक कैलेंडर का आगाज होता है. यह इस्लामिक कैलेंडर वर्ष का पहला महीना है. इस साल मुहर्रम का प्रारंभ 31 जुलाई से हुआ है. मुहर्रम का 10वां दिन या 10वीं तारीख यौम-ए-आशूरा (Ashura) के नाम से जानी जाती है. यह दिन मातम का होता है. इस दिन मुस्लिम समुदाय मातम मनाता है. आइए जानते हैं कि भारत में आशूरा कब है और इसका ऐतिहासिक महत्व क्या है?

भारत में कब है आशूरा ( Ashura) ?

भारत में मुहर्रम का प्रारंभ 31 जुलाई को हुआ था, इसलिए आशूरा 09 अगस्त दिन मंगलवार को है. पाकिस्तान और बांग्लादेश में भी आशूरा 09 अगस्त को ही है. वहीं सऊदी अरब, ओमान, कतर, संयुक्त अरब अमीरात, इराक, बहरीन और अन्य अरब देशों में मुहर्रम का प्रारंभ 30 जुलाई से हुआ था, इसलिए वहां पर आशूरा 08 अगस्त दिन सोमवार को है.

आशूरा ( Ashura) का ऐतिहासिक महत्व

पैगंबर हजरत मोहम्मद के नवासे हजरत इमाम हुसैन की शहादत मुहर्रम के 10वें दिन यानि आशूरा को हुई थी. करीब 1400 साल पहले इस्लाम की रक्षा के लिए हजरत इमाम हुसैन ने अपने परिवार और 72 साथियों के सा​थ शहादत दे दी थी. हजरत इमाम हुसैन और यजीद की सेना के बीच यह जंग इराक के शहर कर्बला में हुई थी.

शिया समुदाय निकालता है ताजिया

आशूरा के दिन शिया समुदाय के लोग ताजिया निकालते हैं और मातम मनाते हैं. इराक में हजरत इमाम हुसैन का मकबरा है. उसी तरह का ताजिया बनाया जाता है और जुलूस निकाला जाता है. रास्ते भर लोग मातम मनाते हैं और कहते हैं कि ‘या हुसैन, हम न हुए’.

उन ताजियों को कर्बला की जंग के शहीदों का प्रतीक माना जाता है. जुलूस का प्रारंभ इमामबाड़े से होता है और समापन कर्बला पर होता है. वहां पर सभी ताजिए दफन कर दिए जाते हैं. जुलूस में शामिल लोग काले कपड़े पहनते हैं.

ताजिया के जुलूस के समय बोलते हैं- ‘या हुसैन, हम न हुए’. इसका अर्थ है कि हजरत इमाम हुसैन हम सब गमजदा हैं. कर्बला की जंग में हम आपके साथ नहीं थे, वरना हम भी इस्लाम की रक्षा के लिए अपनी कुर्बानी दे देते.

Tags: Moharrammoharram 2022
Previous Post

आज है सावन का आखिरी सोमवार, इन मंत्रों के जाप से करें भोलेनाथ को प्रसन्न

Next Post

सीएम योगी का आर्थिक मैनेजमेंट, छोटे कारोबारियों ने भर दी सरकार की तिजोरी

Writer D

Writer D

Related Posts

Exhaust Fan
फैशन/शैली

एग्जॉस्ट फैन के ब्लेड पर जम गई हैं गंदगी, इन टिप्स से मिनटों में हो जाएंगे साफ

27/09/2025
Palak Paneer
Main Slider

नवरात्रि में बनाएं बिना प्याज के यूं बनाएं टेस्टी पालक पनीर, नोट कर लें रेसिपी

27/09/2025
Kuttu Chapati
खाना-खजाना

नवरात्रि में व्रत की थाली में शामिल करें कुट्टू की रोटियां, ये है बनाने की विधि

27/09/2025
Kachche Kela Tikkis
खाना-खजाना

नवरात्रि व्रत के दौरान फलाहार में बनाए चटपटी कच्चे केले की टिक्की

27/09/2025
Aloo Patties
Main Slider

व्रत में खाएं फलाहारी आलू पेटीज, देर तक नहीं लगती भूख

27/09/2025
Next Post
New Tourism Policy

सीएम योगी का आर्थिक मैनेजमेंट, छोटे कारोबारियों ने भर दी सरकार की तिजोरी

यह भी पढ़ें

CM Bhajan Lal

मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने टोक्यो में ‘राइजिंग राजस्थान’ समिट 2024 के रोड शो का नेतृत्व किया

11/09/2024
JIO

84 दिन की वैलिडिटी के लिए रिलायंस जियो ला रहा है 329 रुपये का प्लान

19/08/2020

न अंबिका सोनी न जाखड़, ये संभालेंगे पंजाब की कमान

19/09/2021
Facebook Twitter Youtube

© 2022 24घंटेऑनलाइन

  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म

© 2022 24घंटेऑनलाइन

Go to mobile version