चातुर्मास (Chaturmas) में भगवान विष्णु विश्राम करते हैं और सृष्टि का संचालन भगवान शिव करते हैं। देवउठनी एकादशी के बाद विष्णु फिर से सृष्टि का भार संभाल लेते हैं। देवप्रबोधनी एकादशी तक भगवान विष्णु विश्राम करेंगे इस दौरान शिवजी सृष्टि का संचालन करेंगे इन दिनों में शिव जी और विष्णु जी की पूजा करनी चाहिए। चातुर्मास (Chaturmas) के दौरान भगवान विष्णु और शिव का अभिषेक करना चाहिए। विष्णु को तुलसी तो शिव को बिल्वपत्र चढ़ाने चाहिए साथ ही ऊँ विष्णवे नम: और ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करना चाहिए। इन दिनों में भागवत कथा सुनने का विशेष महत्व है साथ ही जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज का दान करना चाहिए।
कब से शुरू हो रहा है चातुर्मास (Chaturmas) –
दृक पंचांग के अनुसार, इस साल 6 जुलाई से चातुर्मास (Chaturmas) का आरंभ हो रहा है और 1 नवंबर 2025 को इसका समापन होगा। मान्यता है कि इस अवधि में विष्णुजी निद्रा योग में रहते हैं और देवउठनी एकादशी के दिन जागते हैं।
मांगलिक कार्यों की होती है मनाही
सनातन धर्म में चातुर्मास (Chaturmas) के दौरान मांगलिक कार्यों की मनाही होती है। भगवान विष्णु को सृष्टि का पालनहार कहा जाता है। श्रीहरि के विश्राम अवस्था में चले जाने के बाद मांगलिक कार्य जैसे- विवाह, मुंडन, जनेऊ आदि करना शुभ नहीं माना जाता है। मान्यता है कि इस दौरान मांगलिक कार्य करने से भगवान का आशीर्वाद नहीं प्राप्त होता है। शुभ कार्यों में देवी-देवताओं का आवाह्न किया जाता है। भगवान विष्णु योग निद्रा में होते हैं, इसलिए वह मांगलिक कार्यों में उपस्थित नहीं हो पाते हैं। जिसके कारण इन महीनों में मांगलिक कार्यों पर रोक होती है।
चातुर्मास (Chaturmas) में क्या करें-
चातुर्मास (Chaturmas) में गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और धन का दान करना शुभ होता है। इसके साथ ही चातुर्मास में विष्णुजी, माता लक्ष्मी के साथ शिव-गौरी और गणेशजी की विधिवत पूजा-आराधना करना चाहिए।
चातुर्मास (Chaturmas) में क्या न करें-
चातुर्मास (Chaturmas) में शादी-विवाह, सगाई और मुंडन समेत सभी मांगलिक कार्यों को वर्जित माना गया है। इसके साथ ही इस माह में नई प्रॉपर्टी खरीदना या गृह-प्रवेश करने से बचना चाहिए।