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कब है गजानन संकष्टी चतुर्थी? जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Writer D by Writer D
11/07/2025
in Main Slider, धर्म, फैशन/शैली
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Sankashti Chaturthi

Sankashti Chaturthi

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गजानन संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) का व्रत भगवान गणेश को समर्पित है, जिन्हें विघ्नहर्ता और बुद्धि के देवता के रूप में पूजा जाता है। इस दिन व्रत रखने और विधि-विधान से गणेश जी की पूजा करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने से भी विशेष लाभ होता है। मान्यता के अनुसार, गजानन संकष्टी चतुर्थी का व्रत भक्तों को सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करने वाला माना जाता है। इस दिन गणेश जी की सच्चे मन से पूजा करने से वे प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों के सभी दुखों को हर लेते हैं।

गजानन संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) कब है?

पंचांग के अनुसार, 14 जुलाई को देर रात 01 बजकर 02 मिनट पर कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत होगी और 14 जुलाई को देर रात 11 बजकर 59 मिनट पर चतुर्थी तिथि का समापन होगा। उदयातिथि के अनुसार, 14 जुलाई को गजानन संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी।

संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) की पूजा विधि

चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। व्रत का संकल्प लें। एक साफ स्थान पर गणेश जी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। गणेश जी को सिंदूर और चंदन का तिलक लगाएं। उन्हें लाल रंग के फूल और 21 दूर्वा की गांठें अर्पित करें। दूर्वा गणेश जी को बहुत ही प्रिय है। मोदक या लड्डू गणेश जी को बहुत पसंद हैं। उन्हें मोदक, लड्डू या अन्य मिठाई का भोग लगाएं। घी का दीपक और धूप जलाएं। संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा का पाठ करें या सुनें। गणेश जी की आरती करें। रात्रि में चंद्रोदय होने पर चंद्रमा को अर्घ्य दें। अर्घ्य देते समय ‘ॐ चंद्राय नमः’ मंत्र का जाप करें। चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद सात्विक भोजन ग्रहण कर व्रत खोलें।

संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) के दिन पूजा करने के लाभ

संकटों से मुक्ति

इस व्रत का सबसे प्रमुख महत्व यह है कि इसे रखने से भक्तों के जीवन के सभी संकट और बाधाएं दूर होती हैं। भगवान गणेश अपने भक्तों के विघ्नों को हर लेते हैं, जिससे उन्हें सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।

मनोकामना पूर्ति

जो भक्त श्रद्धापूर्वक और विधि-विधान से इस व्रत को रखते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। चाहे वह संतान प्राप्ति हो, धन-धान्य की वृद्धि हो, या किसी कार्य में सफलता, भगवान गणेश अपनी कृपा बरसाते हैं।

बुद्धि और विवेक की प्राप्ति

भगवान गणेश को बुद्धि और विवेक का देवता माना जाता है। इस दिन उनकी पूजा करने से व्यक्ति की बुद्धि तेज होती है, निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है और सही-गलत का ज्ञान होता है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभदायक है जिनकी कुंडली में बुध ग्रह कमजोर हो।

संतान संबंधी समस्याओं का निवारण

संतान की कामना करने वाले दंपतियों के लिए यह व्रत बहुत फलदायी माना जाता है। इस व्रत को रखने से संतान की प्राप्ति होती है और संतान के जीवन में आने वाली बाधाएं भी दूर होती हैं, जिससे उन्हें दीर्घायु और मेधावी बनने का आशीर्वाद मिलता है।

सौभाग्य और समृद्धि

संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से जीवन में सौभाग्य आता है और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। यह यश-कीर्ति, वैभव और हर क्षेत्र में सफलता प्रदान करने वाला माना गया है।

नकारात्मकता का नाश

इस दिन गणेश जी की पूजा करने से घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मकता का संचार होता है। मानसिक अशांति और मन की चंचलता पर काबू पाने के लिए भी यह पर्व लाभकारी है।

चंद्र देव की उपासना का महत्व

इस व्रत में रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देने का विशेष महत्व है। माना जाता है कि चंद्र देव की उपासना से मन शांत होता है और मानसिक तनाव दूर होता है।

Tags: sankashti chaturthi
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