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गायत्री जयंती कब है, जानें इसका महत्व

Gayatri Jayanti

Gayatri Jayanti

गायत्री जयंती (Gayatri Jayanti) का पर्व हर साल ज्येष्ठ माह में पड़ने वाली निर्जला एकादशी के दिन मनाया जाता है। इस दिन को देवी गायत्री की जयंती के रूप में मनाया जाता है। मां गायत्री को वेदों की देवी होने के कारण देवी गायत्री को वेद माता भी कहा जाता है। देवी गायत्री को सभी देवताओं की माता तथा देवी सरस्वती, देवी पार्वती और देवी लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। यहां जानें गायत्री जयंती के दिन पड़ने वाली तिथि और इस खास दिन पर बनने वाले शुभ योग क्या रहेंगे।

गायत्री जयन्ती ज्येष्ठ चन्द्र माह के समय शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनायी जाती है और गंगा दशहरा के अगले दिन मनायी जाती है। एकादशी तिथि का प्रारम्भ 6 जून, 2025 सुबह 2.15 मिनट पर होगा। एकादशी की तिथि 7 जून, 2025 शनिवार को सुबह 4.47 मिनट पर समाप्त होगी।

इसके साथ ही गायत्री जयंती (Gayatri Jayanti) पर शुभ योगों का संयोग मिल रहा है। इस दिन रवि योग का संयोग रहेगा, साथ ही इस दिन व्यतीपात और वरीयान योग का भी संयोग रहने वाला है।

गायत्री जयन्ती के दिन भक्त मां गायत्री की विशेष पूजा-अर्चना करके और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए उनके मंत्रों का निरन्तर गायत्री मंत्र का जाप करके इस पर्व को मनाते हैं। इस दिन आप मां गायत्री का आशीर्वाद पाने के लिए उनके 108 नामों का जाप करें। ऐसी मान्यता है कि इस दिन माता गायत्री का प्राकट्य हुआ था। गायत्री जयंती पर माता के पूजन और उनके मंत्रों का जप करने का विशेष महत्व है।

गायत्री मंत्र और उसका अर्थ

हिंदू धर्म में गायत्री मंत्र को एक शक्तिशाली वैदिक मंत्र माना जाता है। “उस परम प्रकाश, सवितु को हम ध्यान करते हैं जो सभी ज्ञान का स्रोत है और हमें सत्य के मार्ग पर ले जाए।” यह मंत्र सत्व, रज और तम नामक तीन गुणों के पार ले जाता है। अर्थात् हम उस परमात्मा का ध्यान करते हैं जो सभी का सृष्टिकर्ता है और जो ज्ञान का स्रोत है। वह हमारी बुद्धि को सही दिशा में प्रेरित करे और हमें सत्य के मार्ग पर ले जाए।

मां गायत्री के 11 मंत्र

ॐ श्री गायत्र्यै नमः ॐ जगन्मात्रे नमः ॐ परब्रह्मस्वरूपिण्यै नमः ॐ परमार्थप्रदायै नमः ॐ जप्यायै नमः ॐ ब्रह्मतेजोविवर्धिन्यै नमः ॐ ब्रह्मास्त्ररूपिण्यै नमः ॐ भव्यायै नमः ॐ त्रिकालध्येयरूपिण्यै नमः ॐ त्रिमूर्तिरूपायै नमः ॐ सर्वज्ञायै नमः

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