सनातन धर्म में गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) एक महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक माना जाता है। यह पर्व गुरु और शिष्य के बीच पवित्र संबंध का प्रतीक माना जाता है। इसे व्यास पूर्णिमा और वेद पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन अपने गुरु को उपहार देने के साथ पवित्र नदियों में स्नान और दान पुण्य का भी खास महत्व होता है। मान्यता है कि इस दिन गुरुओं की पूजा करने से व्यक्ति को पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। इसके अलावा इस दिन व्रत तथा पूजा पाठ करने से आध्यात्मिक उन्नति होती है।
गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) कब है?
वैदिक पंचांग के अनुसार, गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) यानी आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 10 जुलाई को देर रात 1 बजकर 36 मिनट पर होगी। वहीं तिथि की समापन 11 जुलाई को देर रात 2 बजकर 6 मिनट होगा। उदया तिथि के अनुसार, गुरु पूर्णिमा का पर्व 10 जुलाई को मनाया जाएगा।
गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) का महत्व
सनातन धर्म में गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) को इसलिए महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इसी दिन महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ था। इन्होंने महाभारत, श्रीमद् भागवत और 18 पुराण जैसे अद्भुत साहित्य की थी। वेदव्यास ऋषि पराशर के पुत्र थे। इसके अलावा गुरु पूर्णिमा का मुख्य उद्देश्य गुरुओं को सम्मान करना और उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना हैं। इस दिन हम अपने गुरुओं से आशीर्वाद प्राप्त करके मोक्ष के मार्ग पर आगे बढ़ने का प्रयास करते हैं।