हिंदू धर्म में तीज (Teej) के पर्व का विशेष महत्व है। तीज का पर्व पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए रखा जाता है। इस व्रत को निर्जला रखते हैं। सावन और भाद्रपद माह में तीज का पर्व मनाया जाता है। यह सभी तीज के व्रत भोलेनाथ और माता-पार्वती के लिए रखे जाते हैं। जानते हैं साल 2025 में किस दिन पड़ेगी हरियाली तीज, कजरी तीज, हरतालिका तीज।
तीज (Teej) उत्सव उत्तर भारत के राज्यों में मनाया जाता है। राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार में विवाहित महिलाएं धूमधाम से इस दिन व्रत करती हैं और तीज के पर्व को मनाती हैं।
हरियाली तीज (Hariyali Teej) 2025
हरियाली तीज का पर्व साव माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को रखा जाता है। साल 2025 में हरियाली तीज का व्रत 27 जुलाई को रखा जाएगा। यह पर्व भगवान शिव व माता पार्वती के पुनर्मिलन का प्रतीक है। इस दिन विवाहित महिलाएं निर्जला व्रत करती हैं और इस पर्व को मनाती हैं।
कजरी तीज (Kajari Teej) 2025
कजरी तीज भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को पड़ता है। कजरी तीज का पर्व साल 2025 में 12 अगस्त को पड़ रही है। कजरी तीज हरियाली तीज के 15 दिन तक बाद पड़ती है और रक्षा बंधन के 3 दिन बाद और श्री कृष्ण जन्माष्टमी से 5 दिन पहले आती है। कजरी तीज को बड़ी तीज के रूप में भी जाना जाता है। हरियाली तीज को छोटी तीज रूप में जाना जाता है। कजरी तीज को कजली तीज भी कहा जाता है। कुछ क्षेत्रों में कजरी तीज को सातुड़ी तीज भी कहते हैं। भगवान शिव और मां पार्वती को समर्पित कजरी तीज का पर्व मनाया जा रहा है।
हरतालिका तीज (Hartalika Teej) 2025
हरतालिका तीज भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। हिंदू धर्म में हरतालिका तीज का विशेष महत्व है। इस व्रत को विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती है। साल 2025 में हरतालिका तीज का व्रत 26 अगस्त 2025, मंगलवार के दिन रखा जाएगा। इस शुभ अवसर पर सुहागिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं, मेहंदी लगाती हैं और भगवान शिव संग माता पार्वती की पूजा कर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। साथ ही अविवाहित कन्याएं भी मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए इस दिन उपवास करती हैं।
कथा के अनुसार देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। उन्होंने भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को निर्जला व्रत रखा था और भगवान शिव की आराधना की थी। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया।