नई दिल्ली। महानंदा नवमी व्रत 21 फ़रवरी रविवार को मनाया जाएगा। बता दें कि यह व्रत हर साल मार्गशीष मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को पड़ता है। महानंदा नवमी व्रत धन की देवी मां लक्ष्मी को समर्पित है। पौराणिक मान्यता है कि जिन भक्तों ने यह व्रत रखा है उनके ऊपर मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी और ऐसा जातकों के जीवन में धन-धान्य की कमी नहीं होगी और दुर्भाग्य उनसे कोसों दूर रहेगा।
आइए जानते हैं महानंदा नवमी व्रत की पूजा विधि एवं महालक्ष्मी जी की स्तुति …
महानंदा नवमी पूजा विधि
महानंदा नवमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर घर का कूड़ा-कचरा इकट्ठा करके सूप में रखकर घर के बाहर रख दें। इसे अलक्ष्मी का विसर्जन कहते हैं। इसके बाद नित्य कर्म एवं स्नान करके साफ धुले हुए कपड़े पहनें और श्री महालक्ष्मी का आवाहन करें।
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पूजा घर की साफ-सफाई करें एवं पूजा घर के बीचोबीच एक घी का एक अखंड दीपक जलाएं। मन से पूजा पाठ करते हुए व्रत करें और रात्रि जागरण करें।
महालक्ष्मी मंत्र- ‘ॐ ह्रीं महालक्ष्म्यै नम:’ का जाप करें। ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी। रात में पूजा के बाद अपना व्रत खोलें।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, महानंदा नवमी के दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व माना गया है। ऐसे में इस दिन कन्या पूजा के बाद कन्याओं के चरण छूने के बाद आशीर्वाद लें।
मां महालक्ष्मी की स्तुति :
आदि लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु परब्रह्म स्वरूपिणि।
यशो देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।1।।
सन्तान लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु पुत्र-पौत्र प्रदायिनि।
पुत्रां देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।2।।
विद्या लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु ब्रह्म विद्या स्वरूपिणि।
विद्यां देहि कलां देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।3।।
धन लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व दारिद्र्य नाशिनि।
धनं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।4।।
धान्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वाभरण भूषिते।
धान्यं देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।5।।
मेधा लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु कलि कल्मष नाशिनि।
प्रज्ञां देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।6।।
गज लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वदेव स्वरूपिणि।
अश्वांश गोकुलं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।7।।
धीर लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु पराशक्ति स्वरूपिणि।
वीर्यं देहि बलं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।8।।
जय लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व कार्य जयप्रदे।
जयं देहि शुभं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।9।।
भाग्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सौमाङ्गल्य विवर्धिनि।
भाग्यं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।10।।
कीर्ति लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु विष्णुवक्ष स्थल स्थिते।
कीर्तिं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।11।।
आरोग्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व रोग निवारणि।
आयुर्देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।12।।
सिद्ध लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व सिद्धि प्रदायिनि।
सिद्धिं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।13।।
सौन्दर्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वालङ्कार शोभिते।
रूपं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।14।।
साम्राज्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु भुक्ति मुक्ति प्रदायिनि।
मोक्षं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।15।।
मङ्गले मङ्गलाधारे माङ्गल्ये मङ्गल प्रदे।
मङ्गलार्थं मङ्गलेशि माङ्गल्यं देहि मे सदा।।16।।
सर्व मङ्गल माङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्रयम्बके देवि नारायणि नमोऽस्तुते।।17।।
शुभं भवतु कल्याणी आयुरारोग्य सम्पदाम्।