धर्म डेस्क। मोक्षदा एकादशी का तात्पर्य है मोह का नाश करने वाली। इसलिए इसे मोक्षदा एकादशी कहा गया है। मोक्षदा एकादशी व्रत के प्रभाव से मनुष्य के पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और व्रती को स्वर्गलोक प्राप्त होता है। शास्त्रों के अनुसार, इस व्रत से बढ़कर मोक्ष देने वाला दूसरा कोई भी व्रत नहीं है। कब है मोक्षदा एकादशी व्रत? जानते हैं तिथि, व्रत विधि, महत्व और व्रत कथा।
अगहन (मार्गशीर्ष) माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी के नाम से जाना जाना जाता है। इस साल मोक्षदा एकादशी व्रत 25 दिसंबर को रखा जाएगा। यह साल 2020 की आखिरी एकादशी होगी।
मोक्षदा एकादशी व्रत मुहूर्त
- एकादशी तिथि प्रारंभ: 24 दिसंबर की रात 11 बजकर 17 मिनट से
- एकादशी तिथि समाप्त: 25 दिसंबर को देर रात 1 बजकर 54 मिनट तक
मोक्षदा एकादशी व्रत विधि
- प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठें।
- स्नानादि से निवृत्त होकर घर के मंदिर की सफाई करें।
- पूरे घर में गंगाजल छिड़कें।
- पूजाघर में भगवान को गंगाजल से स्नान कराएं।
- उन्हें वस्त्र अर्पित करें।
- इसके बाद रोली और अक्षत से तिलक करें।
- फूलों से भगवान का श्रृंगार करें।
- भगवान को फल और मेवे का भोग लगाएं।
- सबसे पहले भगवान गणपति और फिर माता लक्ष्मी के साथ श्रीहरि की आरती करें।
- भगवान विष्णु को तुलसी के पत्ते अवश्य अर्पित करें।