कालाष्टमी व्रत (Kalashtami Vrat) का विशेष महत्व भगवान काल भैरव की उपासना से जुड़ा है। काल भैरव, भगवान शिव का एक उग्र और रक्षक रूप हैं, जिनकी पूजा विशेष रूप से भय, बाधा, शत्रु और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा के लिए की जाती है। यह व्रत हर माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है, लेकिन मार्गशीर्ष और वैशाख माह की कालाष्टमी का विशेष महत्व होता है। आइए जानते हैं वैशाख माह की कालाष्टमी व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व के बारे में।
कब है कालाष्टमी (Kalashtami Vrat)
पंचांग के अनुसार, साल 2025 के अप्रैल महीने में वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी की शुरुआत 20 अप्रैल की रात 7 बजकर 1 मिनट से हो रही है। यह तिथि 21 अप्रैल की शाम 6 बजकर 58 मिनट तक रहने वाली है। इसलिए उदया तिथि के अनुसार, वैशाख माह में कालाष्टमी 21 अप्रैल को मनाई जाएगी।
पूजा का शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त का समय – सुबह 4 बजकर 48 मिनट बजे से सुबह 5 बजकर 35 मिनट तक।
विजय मुहूर्त का समय – दोपहर 2 बजकर 30 मिनट से दोपहर 3 बजकर 19 मिनट तक तक।
गोधूलि मुहूर्त का समय – शाम 6 बजकर 32 मिनट से शाम 6 बजकर 56 मिनट तक।
निशिता काल की पूजा का समय – रात 12 बजकर 4 मिनट से रात 12 बजकर 51 मिनट तक रहेगा।
कालाष्टमी व्रत (Kalashtami Vrat) की पूजा विधि
व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। घर के मंदिर को साफ करें और भगवान काल भैरव की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। शुभ मुहूर्त में भगवान काल भैरव की पूजा शुरू करें। उन्हें धूप, दीप, नैवेद्य हलवा, खीर, गुलगुले, जलेबी आदि अर्पित करें। घी का दीपक जलाएं। कालाष्टमी व्रत कथा सुनें या पढ़ें। शिव चालीसा का पाठ करें और शिव मंत्रों का जाप करें। आखिर में भगवान काल भैरव की आरती करें और पूजा का समापन करें। व्रत रखने वाले दिन भर फलाहार कर सकते हैं। रात्रि में जागरण कर भगवान भैरव की पूजा और मंत्र जाप करना शुभ माना जाता है।अगले दिन स्नान के बाद व्रत का पारण करें और गरीबों को दान दें।भगवान भैरव के वाहन कुत्ते को भोजन कराना भी इस दिन शुभ माना जाता है।
कालाष्टमी व्रत (Kalashtami Vrat) का महत्व
मान्यता के अनुसार, कालाष्टमी का व्रत जीवन में आने वाली सभी प्रकार की बाधाओं, परेशानियों और संकटों को दूर करने में सहायक माना जाता है। कालाष्टमी का व्रत नकारात्मक शक्तियों, बुरी नजर और काले जादू के प्रभावों से बचाता है। भगवान काल भैरव को भय का नाश करने वाला माना जाता है, इसलिए इस व्रत को करने से हर प्रकार के डर से मुक्ति मिलती है। यह व्रत शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने और उनसे सुरक्षा पाने के लिए किया जाता है। मान्यता है कि कालाष्टमी का व्रत राहु और शनि जैसे ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों को शांत करता है।